गुरदासपुर : संगीतमय श्री कृष्ण कथा का दूसरा दिन : रुकमणी विवाह का बड़े ही श्रद्धा भाव से किया बखान

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गगन बावा, गुरदासपुर:
श्री कृष्णा मंदिर मंडी गुरदासपुर में संगीतमय श्री कृष्ण कथा के दूसरे दिन मुख्य मेहमान हीरामणि अग्रवाल रहे। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष बाल कृष्ण मित्तल ने उन्हें हार पहनाकर उनका स्वागत किया। हीरामणि अग्रवाल ने कहा कि श्री कृष्णा मंदिर मंडी गुरदासपुर की तरक्की के लिए जब भी उनसे कुछ कहा जाएगा, वह हर समय तैयार रहेंगे। विजय शर्मा ने उनका धन्यवाद किया। इसके बाद कथावाचक बुआ दित्ता जी महाराज (जम्मू वालों) ने रुकमणी विवाह का बड़े ही श्रद्धा भाव से बखान किया।

उन्होंने कहा कि रुकमणी जी मन ही मन में श्री कृष्ण जी को उनके गुणों के अनुसार अपना पति मान चुकी थीं और रुक्मणी का भाई, जो शिशुपाल का मित्र था, अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से करवाना चाहता था। श्री कृष्ण और रुक्मणी का विवाह भी एक लीला थी। उस लीला के साथ ही भगवान श्री कृष्ण ने दुष्ट शिशुपाल को मारना था। शिशुपाल श्री कृष्ण जी की बुआ का लड़का था। श्री कृष्ण जी ने अपनी बुआ को वचन दिया था कि वह उसकी 100 गलतियों को माफ करेंगे।ऐसा कहने के बाद शिशुपाल ने हर समय कृष्ण जी का विरोध किया, परंतु 100 गलतियों के बाद भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध कर दिया। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार गंगा किनारे स्थापित अवंतिका देवी के मंदिर में रुकमणी जी प्रतिदिन पूजा करने के लिए आती थीं। यहां पर ही रुकमणी जी और श्री कृष्ण जी का मिलन हुआ और शिशुपाल का वध करने के कारण ही अपनी लीलाओं को करते हुए एक लीला के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणी जी के साथ विवाह किया और इस तरह बुराई पर अच्छाई की और असत्य पर सत्य की जीत हुई।

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