The paths to the beautiful destination should also be pleasant! खूबसूरत मंजिल के रास्ते भी सुखद होने चाहिए!

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देश, कैपिटल हिल या सेंट्रल विस्टा से खूबसूरत नहीं बनता है। देश खूबसूरत बनता है, जब वहां की आवाम सुखद और नैतिक जीवन जीती है। राजनेता वह महान होता है, जो मानवता को सर्वोपरि रखता है। वह अपने देश वासियों को सभ्य और सुरक्षित जीवन देने के लिए संसाधन जुटाता है। वह जनता पर करों का बोझ लादकर नहीं बल्कि वैकल्पिक उद्यमों से राजस्व जुटाता है। नागरिकों की भावनायें उसके लिए अहम होती हैं मगर अल्पसंख्यकों का हक मारकर नहीं। दुखद है कि इस वक्त वही सब हो रहा है, जो नहीं होना चाहिए। वो नहीं हो रहा है, जो होना चाहिए था। विश्व के महानतम लोकतंत्र अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड जॉन ट्रंप ने यह नहीं समझा। उन्होंने देश के लोकतांत्रिक इतिहास को कलंकित कर दिया। हमारे देश में किसान, देशवासियों के हक पर पड़ते डाके को रोकने के लिए राजधानी की सरहद पर संघर्षरत हैं। उनके प्रति केंद्र सरकार में संवेदनशीलता नजर नहीं आ रही। पिछले 45 दिनों में करीब 70 किसान आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। हाड़ कंपाती ठंड में वे बार-बार सरकार के सामने अपनी बात रख रहे हैं मगर सरकार हठधर्मी में उनकी सुन नहीं रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात के सिवाय कुछ नहीं कर रहे हैं। वह देश के तमाम हिस्सों में जाते हैं। आयोजनों में हिस्सा लेते हैं मगर चौखट पर बैठे किसानों से बात नहीं करते। दूसरी तरफ, रामराज स्थापित करने का दम भरने वाले यूपी के एक मंदिर में महिला से गैंगरेप के बाद उसकी जघन्य हत्या कर दी जाती है। पुलिस तीन दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं करती। इसी रामराज में हम हाथरस की बेटी से दरिंदगी और सरकार की बेशर्मी देख चुके हैं। इन दागों के रहते कोई देश कैसे खूबसूरत और महान बन सकता है? यह यक्ष प्रश्न है।

अमेरिका डेढ़ सौ साल से अपने आदर्श लोकतंत्र को लेकर गर्व करता था। टैक्स के नाम पर वहां नागरिकों की रीढ़ नहीं तोड़ी जाती बल्कि आय के वैकल्पिक साधनों का प्रयोग किया जाता है। जनता को टैक्स देने के बदले सामाजिक सुरक्षा से लेकर तमाम नागरिक सुविधायें मुफ्त में दी जाती हैं। उसे एहसान नहीं बताया जाता है। वहां की संस्थायें सत्ता के दबाव में नहीं बल्कि नियमों और लोक भावनाओं से काम करती हैं। पहली बार वहां वह हुआ, जिससे वहां के लोकतंत्र का सिर शर्म से झुक गया है। वजह, राष्ट्रपति पद पर अच्छा भाषण देने वाले एक अयोग्य व्यक्ति के रूप में ट्रंप का चयन था। उसने सत्ता के लिए वह सब किया जो नहीं करना चाहिए था। अमेरिका के नागरिकों ने अपनी गलती को सुधारा और उसे सत्ता से बाहर कर दिया। सत्ता छोड़ने के पहले ही डॉनल्ड जॉन ट्रंप ने वह किया, जो अमेरिका के इतिहास को कलंकित करने वाला है। हमारे प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप के गहरे मित्र होने का दम भरते रहे हैं। उनकी जीवन शैली से सीखते हैं। शायद यही वजह थी, जब देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था, तब प्रधानमंत्री केयर फंड बनाकर उससे लड़ने के लिए दान मांग रहे थे। उसी वक्त सत्ता की विलासिता के लिए हमारी जेब से निकाले गये हजारों करोड़ रुपये लुटाये जा रहे थे। बेहतरीन संसद भवन होने के बावजूद हरियाली को काटकर दूसरा संसद भवन बनाने के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जा रही थी। 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की इस परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट भी सत्ता के दबाव में दिखी। उसने देश की खूबसूरती के लिए फैसला नहीं दिया। सर्वोच्च अदालत तब जागी, जब सड़कों पर मजदूर मर चुके थे और देश बरबादी का शिकार हो चुका था। करोड़ों युवा बेरोजगार हो गये। सच बोलने पर हजारों निर्दोष लोगों को जेल में डाल दिया गया। मूक दर्शक बनी सुप्रीम कोर्ट, तब रात में भी चीखी चिल्लाई, जब सरकार के चहेतों पर अपराध करने के कारण कार्रवाई हुई।

यूपी (उत्तर प्रदेश) एक ऐसा राज्य है, जहां बहुसंख्यक हिंदुओं के आराध्य शिव हों या राम और कृष्ण तीनों का घर है। धर्म की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए ही यहां गोरक्षा पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ (अजय सिंह विष्ट) को विधानसभा सदस्य न होते हुए भी मुख्यमंत्री बनाया गया था। रामराज स्थापित करने का नारा देकर जब राज्य की सत्ता उन्हें सौंपी गई, तो उम्मीद की जा रही थी कि सनातन धर्म की महान परंपराओं के अनुकूल नागरिक जीवन मिलेगा। उम्मीदें तब बदसूरत हो गईं, जब नागरिकों में भेद करके उनका उत्पीड़न किया जाने लगा। महिला सुरक्षा का दावा करने के बाद भी रोजाना औसतन 9 बेटियां बलात्कार का शिकार होने लगीं। सरकार इन अपराधों को रोकने पर काम करने के बजाय घटनाओं पर पर्दा डालने लगी। इसका ज्वलंत उदाहरण, हाथरस गैंगरेप है। जहां बालिका के साथ वीभत्स तरीके से बलात्कार होता है और पुलिस प्रशासन उस पर पर्दा डालने के लिए वह सब करता है, जिसे निकृष्ट आचरण कहते हैं। कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका गांधी अगर बालिका के इंसाफ के लिए न लड़ते, तो शायद चिता के साथ ही सब राख हो जाता। अब बदायूं के मंदिर में 50 वर्षीय महिला से वह वीभत्स घटना हुई है, जो पूरे रामराज को कलंकित करती है। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य कहती हैं कि पीड़िता को शाम को अकेले मंदिर नहीं जाना चाहिए था। यूपी के गोंडा में भी मंदिर गई बालिका के साथ बलात्कार हुआ। इसी तरह हरियाणा के जींद में भी मंदिर के अंदर बलात्कार की घटना हुई मगर वहां पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की। हमें याद है जब कठुआ के एक मंदिर में वहां के पुजारी सहित आधा दर्जन लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय की बच्ची से कई दिनों तक रेप किया था, उस वक्त सत्तारूढ़ भाजपा के उपमुख्यमंत्री की अगुआई में हजारों भाजपाइयों ने आरोपियों के समर्थन में प्रदर्शन किया था। जैसे हाथरस गैंगरेप के आरोपियों के बचाव में पूरी भाजपा खड़ी हो गई थी।

स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए विश्व के सभी लोगों को भाइयों-बहनों संबोधित कर देश का सम्मान बढ़ाया था। उसी भारत में रामराज लाने का दम भरने वालों के राज में रोजाना औसतन 80 महिलाएं देशभर में बलात्कारियों का शिकार हो रही हैं। जब कोविड-19 की महामारी का खतरा चरम पर था, तब भी यूपी का दामन बलात्कार की घटनाओं से दागदार हो रहा था। हमारी सरकारें सुशासन का दावा करते हुए देश को खूबसूरत और सुरक्षित बनाने का दम भरती हैं। सच यह है कि देश लगातार बदसूरत और असुरक्षित होता जा रहा है। खूबसूरत और सुरक्षित बनाने के नाम पर जो हो रहा है, वही इस देश पर कलंक है। न सत्ता आमजन की समस्याओं का समाधान कर पा रही है और न ही नारी सम्मान बच पा रहा है। लज्जा लूटकर साज सज्जा बनाने की बात की जाती है। हमारा अन्नदाता हम सब के निवाले की लड़ाई लड़ रहा है। उसका निवाला और खेत दोनों खतरे में हैं। अगर यही हाल रहा तो तय है कि देश अराजकता से बच नहीं पाएगा। लुभावने भाषणों से देश खूबसूरत नहीं बनता, उसके लिए सुखद रास्ते भी होने चाहिए। जिसमें जनता आनंद से जी सके।

जय हिंद!

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(लेखक आईटीवी नेटवर्क के प्रधान संपादक मल्टीमीडिया हैं)

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