प्रत्येक नारी को बहन मान कर रक्षा करने का संकल्प लें: पीयूष मुनि

0
214
प्रवीण वालिया,करनाल:  
रक्षाबंधन पर्व भाई-बहन के प्रेमपूर्ण भावनात्मक सम्बन्धों का प्रतीक है। इस दिन बहन के स्नेह की डोरी से बंधा भाई उसकी रक्षा का संकल्प लेता है। प्रत्येक पर्व के पीछे कुछ न कुछ इतिहास रहता है।
प्राचीन काल में केवल ब्राह्मणों का माना जाने वाला यह पर्व वर्तमान में किसी एक वर्ण विशेष तक सीमित न रहकर सार्वजनिक बन चुका है। इस पर्व में आत्मशुद्धि के साथ रक्षा की भावना भी काम करती है। उपप्रवर्तक श्री पीयूष मुनि जी महाराज ने श्री आत्म मनोहर जैन आराधना मंदिर से अपने विशेष संदेश में कहा कि आज इस त्यौहार को भाई-बहन तक सीमित न रखकर व्यापकता से मनाने की आवश्यकता है। देश नहीं बल्कि संसार की प्रत्येक नारी को बहन मानकर उसकी रक्षा करने तथा लाज बचाने की प्रतिज्ञा की जाए तभी भारत माता का गौरव बढ़ेगा। मुनि जी ने कहा कि इस पर्व का वास्तविक महत्त्व यही है कि प्राणीमात्र की रक्षा का ध्यान रखा जाए। शरणागत मनुष्य, पशु-पक्षी की रक्षा की प्रतिज्ञा ही आज के दिन को सार्थक करती है। बेसहारा को आसरा देना परमात्मा की कृपा पाना है। शरण में आए प्राणी को प्राण तथा धन देकर अभयदान देना चाहिए। जिसके हृदय में दया नहीं है, उसकी सारी क्रियाएं फलहीन हैं। प्राणीमात्र पर की जाने वाली दया आत्मा को स्वर्ग में ले जाती है।
एक कुशल योद्धा युद्ध में सैकड़ों का घात कर सकता है, पर एक भी दुखी व्यक्ति की रक्षा करते हुए उसके आंसू पोंछना बहुत मुश्किल है। दुनिया का अस्तित्व शस्त्रास्त्रों पर नहीं बल्कि दया तथा आत्म बल पर है। दया परमात्मा का निजी गुण है। जो सच्चा दयालु है, वही सच्चा बुद्धिमान है। दयालु प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का अंश मानता है। सिर्फ रक्त सम्बन्धों तक सीमित न रहकर प्रत्येक हम उम्र महिला को बहन मानकर उसकी अस्मिता, मर्यादा तथा लाज की रक्षा करना ही रक्षाबंधन का वास्तविक महत्व है। धर्म, संस्कृति, प्रकृति, पर्यावरण तथा मानवीय मूल्यों की रक्षा का संकल्प लेकर ही इस पर्व को सार्थक किया जा सकता है।
SHARE