Supreme Court Orders: ज्ञानवापी में मिली वुजुखाने की सफाई की अनुमति, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे पर रोक

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Supreme Court Orders

Aaj Samaj (आज समाज), Supreme Court Orders, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को काशी के ज्ञानवापी और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर बड़े आदेश दिए। ज्ञानवापी मामले में शीर्ष अदालत ने मस्जिद परिसर में मौजूद पानी की टंकी (वुजुखाना) की सफाई कराने की अनुमति दे दी, वहीं श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में मस्जिद का सर्वे करने के लिए कमिश्नर नियुक्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

मुस्लिम पक्ष को नहीं कोई आपत्ति

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिन्दू पक्ष की वकील माधवी दीवान ने कथित पानी की टंकी (वुजुखाना )को साफ कराने की मांग की थी। इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। दरअसल टैंक में मछलियां मरी पड़ीं थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि टैंक की सफाई वाराणसी के जिला कलेक्टर की देखरेख में कराई जाए।

हिंदू पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील माधवी दीवान पेश

हिंदू पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील माधवी दीवान पेश हुईं। वहीं मस्जिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी पेश हुए। बता दें कि मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के वुजुखाना में शिवलिंग पाए जाने के दावे के बाद वुजुखाने को सील करने का आदेश दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नमाज जारी रखने की छूट दी। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग पर पुरातत्व विभाग को मस्जिद परिसर का सर्वे करने की मंजूरी दी थी। इसी सर्वे में मस्जिद परिसर के वुजुखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। हिंदू पक्ष ने इसके शिवलिंग होने का दावा किया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर उठे सवाल

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से मामले से जुड़े सारे मुकदमों को अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने के आदेश पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, तब हाईकोर्ट ने अपने पास केस को कैसे ट्रांसफर किया। हिंदू पक्ष की दलीलों पर सवाल उठाते हुए पीठ ने इस दौरान कहा कि आपकी अर्जी बहुत अस्पष्ट है। आपको स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आप क्या चाहते हैं। इसके अलावा ट्रांसफर का मामला भी इस न्यायालय में लंबित है। हमें उस पर भी फैसला लेना है।

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