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Such great persons who immortalized Indian politics: ऐसे दिग्गज जिन्होंने भारतीय राजनीति को अमर कर दिया

अंबाला। लोकसभा का दूसरा (1957) आम चुनाव एक लिहाज से खास महत्वपूर्ण रहा। इस चुनाव में पहली बार ऐसे चार बड़े नेता चुनाव लड़े और जीते जो आगे चलकर भारतीय राजनीति के शीर्ष पर पहुंचे। इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर लालबहादुर शास्त्री जीते। सूरत से कांग्रेस के ही टिकट पर मोरारजी देसाई जीते थे। इसी चुनाव में बलरामपुर संसदीय क्षेत्र से जनसंघ के टिकट पर जीतकर अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार लोकसभा मे पहुंचे थे। बाद में ये तीनों देश के प्रधानमंत्री बने। इसी चुनाव में मद्रास की तंजावुर लोकसभा सीट आर. वेकटरमन चुनाव जीते जो बाद में देश के राष्ट्रपति बने।

-ग्वालियर राजघराने की विजया राजे सिंधिया भी गुना से 1957 में ही पहली बार चुनाव जीती थीं। ताउम्र संघ परिवार से जुड़ी रहीं विजया राजे ने अपना यह पहला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीता था।
– 1952 में चुनाव हार चुके प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के दिग्गज आचार्य जेबी कृपलानी 1957 का चुनाव बिहार के सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र से जीते।
-इसी तरह 1952 में हारे दिग्गज कम्युनिस्ट नेता श्रीपाद अमृत डांगे को भी 1957 में जीत मिली। वे मुंबई (मध्य) से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर जीते थे।
– 1952 में किसान मजदूर प्रजा पार्टी से चुनाव जीतने वाली सुचेता कृपलानी 1957 में नई दिल्ली सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतीं।
-नेहरू के दामाद फिरोज गांधी रायबरेली से जीते थे। आंध्रप्रदेश की चित्तूर सीट से एम अनंतशयनम आयंगर जीते।
-गुड़गांव सीट से मौलाना अब्दुल कलाम आजाद विजयी रहे थे। बिहार के सहरसा से ललित नारायण मिश्र, पश्चिम बंगाल के आसनसोल से अतुल्य घोष, उत्तर प्रदेश के बस्ती से केडी मालवीय, बांदा से राजा दिनेशसिंह और मध्यप्रदेश के बालौदा बाजार (अब छत्तीसगढ़ में) से विद्याचरण शुक्ल भी चुनाव जीतने मे सफल रहे थे।

कुछ बड़े नेताओं को करना पड़ा था हार का सामना
1957 के चुनाव में कई बड़े नेताओं को हार का सामना भी करना पड़ा था। दिग्गज समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया को कांग्रेस ने हराया तो वीवी गिरी को एक निर्दलीय से हार का मुंह देखना पड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने भी पहला चुनाव 1957 में ही पीएसपी के टिकट पर लड़ा था। चंद्रशेखर को हार का सामना करना पड़ा था। अटल बिहारी को भी लखनऊ और मथूरा से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि वे बलरामपुर संसदीय क्षेत्र से जीत कर संसद की दहलीज तक पहुंचे।

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