Statement Of Prof. Rajbir Singh भारतीय साहित्य रचना प्रक्रिया में समावेशी कलेवर होना जरूरी : प्रो. राजबीर सिंह

0
355
Statement Of Prof. Rajbir Singh

Statement Of Prof. Rajbir Singh

संजीव कौशिक, रोहतक
भारत की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का उल्लेख करते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने साहित्य के महत्त्व तथा प्रभाव को रेखांकित किया। एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर ने आज विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय- समकालीन भारतीय साहित्य विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।

Statement Of Prof. Rajbir Singh

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि भारतीय साहित्य रचना प्रक्रिया में समावेशी कलेवर होना जरूरी है। उन्होंने शोधार्थियों तथा नवोदित लेखकों से लैंगिक समता के मुद्दों, हाशिये के समाज के मुद्दों, विकलांगता अध्ययन, तथा ट्रांसजेंडर समाज आदि पर लिखने की बात कही, ताकि समाज की विविध धाराओं की आवाज लोगों तक पहुंचे। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रयास रहेगा कि विद्यार्थियों में सृजनात्मक लेखन तथा साहित्यिक गतिविधियों की ओर रूझान बढ़े।

Statement Of Prof. Rajbir Singh

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण देते हुए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृष्ण मोहन पाण्डे ने कहा कि साहित्य सांस्कृतिक यथार्थ की प्रस्तुति है। उन्होंने कहा कि भारत के विविध भाषाओं के साहित्य को सांस्कृतिक तत्त्व आपस में जोड़ते हैं।

Statement Of Prof. Rajbir Singh

प्रो. पाण्डे का कहना था कि भारतीय साहित्य का विशिष्ट लक्षण बहुलतावाद है। उनका कहना था कि राष्ट्र के लोक समाज की परंपराओं में समृद्ध साहित्यिक-सांस्कृतिक ज्ञान समाहित है। प्रो. पाण्डे का कहना था कि साहित्य सवाल उठाते हैं, जो कि सांस्कृतिक सभ्यता के लिए महत्त्वपूर्ण है।

Statement Of Prof. Rajbir Singh

अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग के अध्यक्ष तथा संगोष्ठी के संयोजक प्रो. जे.एस. हुड्डा ने स्वागत भाषण दिया। प्रो. हुड्डा ने कहा कि इस दो दिवसीय संगोष्ठी में भारतीय साहित्यिक परंपरा तथा हरियाणवी साहित्य के रूझानों पर मंथन होगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के विशेष सत्र में बीएचयू, वाराणसी के प्रो. देवेन्द्र कुमार ने इंटरनेट के युग में हरियाणवी लोक साहित्य पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि न्यू मीडिया तथा सोशल मीडिया हरियाणवी साहित्य तथा हरियाणवी लोक संगीत का संरक्षण का कार्य कर रहा है।

Statement Of Prof. Rajbir Singh

उन्होंने डिजीटल मीडिया के समय में साहित्यिक पंरपरा की चुनौतियां का उल्लेख भी किया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. राजकुमार ने साहित्य को मानवता का सार्थक संदेश देने वाली औषधि बताई। उन्होंने बताया कि साहित्य ज्ञान का खजाना है। प्रो. राज कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में रंग महोत्सव कार्यक्रम के तहत साहित्यिक इवेंट रंग कलम का आयोजन इस दो दिवसीय संगोष्ठी में किया जा रहा है। कार्यक्रम के प्रारंभ में आयोजन सचिव डा. नीलम हुड्डा ने संगोष्ठी थीम पर प्रकाश डाला।

Statement Of Prof. Rajbir Singh

इस उद्घाटन सत्र में डीन, एकेडमिक एफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा, डीन, फैकल्टी ऑफ ह्यूमैनिटी एण्ड आर्टस प्रो. हरीश कुमार, इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. जेएस धनखड़, चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. इंद्रजीत, अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापकगण-प्रो. रणबीर सिंह राणा, प्रो. रश्मि, प्रो. मंजीत राठी, जयश्री शंकर, डा. शीलू चौधरी, डा. अंजू मेहरा, डा. कविता, निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी समेत यूटीडी एवं संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी तथा रंग कलम इवेंट का आयोजन पं लख्मीचंद शोध पीठ तथा छात्र कल्याण कार्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

Statement Of Prof. Rajbir Singh

Read Also : Sonam Kapoor Shares Pictures With Baby Bump सोनम कपूर ने बेबी बंप के साथ तस्वीरें साझा कीं

Read Also : Ananya Panday Flying To Goa For Event Spotted At Airport

Connect With Us : Twitter Facebook

SHARE