जय राम ठाकुर ने कहा कि 18160 गांवों में से 911 गावों और 3226 पंचायतों में से 13 पंचायतों को एफएचटीसी के तहत शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश केे 12 जिलों में से तीन जिलों को जुलाई, 2021, पांच जिलों को मार्च 2022 तथा अन्य बचे हुए जिलों का अगस्त, 2022 तक इस कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल जीवन मिशन को वर्ष 2019-20 में प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 57 करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि जारी की गई है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से जल जीवन मिशन के तहत विभाग द्वारा प्रस्तावित 990 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार 47000 रुपये की राशि प्रति एफएचसी निर्धारित की गई है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस राशि की सीमा को बढ़ाकर 85000 रुपये करने का आग्रह किया।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के कारण प्रदेश में अधिकांश योजनाएं ऊठाउ सिंचाई योजनाएं हैं, जिसके परिणामस्वरूप श्रम मजदूरी और सामग्री की लागत अधिक है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से प्रदेश की भौगोलिक स्थित को ध्यान में रखते हुए सतही लघु सिंचाई योजनाओं की मौजूदा विकास लागत के मापदण्डों में 2.5 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर बिना सीएडी के 4 लाख रुपये तक का संशोधन करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के लगभग 5.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से 3.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई के लिए चिन्हित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें 2.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचाई सुविधाओं के तहत लाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्रदेश के किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने के लिए अधिकतर क्षेत्रों को सिंचाई सुविधा के तहत लाने के प्रयास कर रही है।
जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में धन के अभाव को बाधा नहीं बनने दिया जाएगा – शेखावत