पहलः ट्राइडेंट फाउंडेशन ने भारत को प्रदूषण मुक्त करने शुरु किया गांवों को गोद लेना

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Started adopting villages to make India pollution free
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  • किसानों को रीपर/मल्चर मशीनें उपलब्ध कर धान के भूसे की गांठें बनवा ट्राइडेंट अब तक कर चुका 1500 एकड़ खेत भूसा मुक्त।
  • गांवों के पंचों, सरपंचों, किसानों ने ट्राइडेंट फाउंडेशन के संस्थापक राजिंदर गुप्ता और मैडम मधु गुप्ता का किया आभार व्यक्त।

अखिलेश बंसल, करन अवतार, बरनाला:

जिला को प्रदूषण एवं किसानों को धान की पराली की संभाल करने की चिंता से मुक्त करने को लेकर ट्राइडेंट ग्रुप के चेयरमैन पद्मश्री राजिंदर गुप्ता और सुश्री मधु गुप्ता के मार्गदर्शन में ट्राइडेंट फाउंडेशन ने जिला के गांवों को गोद लेना शुरु कर दिया है। फाउंडेशन ने जिला के गांव धौला, काहनेके, फतेहगढ़ छन्ना, बरनाला, सेखा, ठीकरीवाला आदि में किसानों को आधुनिक मशीनें देने की शुरुआत की है। गौरतलब है कि ट्राइडेंट फाउंडेशन अब तक किसानों को रीपर/मल्चर मशीनें उपलब्ध करवा भूसे की गांठें बनवा 1500 एकड़ खेत भूसा मुक्त कर चुका है।

भारत जरूर होगा प्रदूषण मुक्तः ट्राइडेंट

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ट्राइडेंट फाउंडेशन सीएसआर हेड नवरीत धीर ने जानकारी दी है कि ट्राइडेंट उद्योग समूह द्वारा शुरू किया गया राष्ट्र हितैषी समाजसेवी संगठन है, जो लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण और कौशल में सुधार के लिए उचित प्रयास कर रहा है। ट्राइडेंट द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के साथ तालमेल कर भारत देश हरा और स्वस्थ बनाने के लिए मिलकर काम कर रहा है। सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत पराली जलाने से रोकने के लिए ट्राइडेंट किसानों में जागरूकता पैदा कर रहा है, जिसमें किसानों के खेतों में ट्राइडेंट फाउंडेशन द्वारा गांठें बनाई जा रही हैं और गांठें बनाने के लिए किसी भी किसान से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है।

किसान कर रहे हैं ट्राइडेंट का आभार व्यक्तः

ट्राइडेंट की इस पहल के लिए जिला बरनाला के विभिन्न गांवों से संबंधित सरपंच काहनेके सतनाम सिंह, धौला के तरसेम सिंह, हीरा सिंह, गुरमेल सिंह, सुखपाल सिंह, अर्शदीप सिंह, ग्रामीण लाभ सिंह और दलीप कौर ने बताया कि धान के भूसे के धुएं से किसान भी दिल के रोग, सांस की तकलीफ, अस्थमा और खांसी से पीड़ित हैं। वह हर साल पराली फूंकते आ रहे थे, लेकिन इस साल उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने ट्राइडेंट ग्रुप के चेयरमैन पद्मश्री राजिंदर गुप्ता और सुश्री मधु गुप्ता का आभार व्यक्त करते धन्यवाद करते कहा कि ट्राइडेंट के प्रयास से किसान जहरीले धुएं से बच सकेंगे। पराली को आग लगाने से निजात दिला ट्राइडेंट ने बड़ी पहल करते किसानों को बड़ी राहत दी है।

पहले चरण में ट्राइडेंट ने किए 1500 एकड़ खेत पराली जलाने से मुक्तः फाउंडेशन

गौरतलब है कि ट्राइडेंट अब तक 1500 एकड़ से अधिक खेतों में धान के भूसे की गांठें बना चुका है और किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए खेत के कचरे के प्रबंधन के लिए लगातार जागरूक कर रहा है। ट्राइडेंट फाउंडेशन की ओर से ट्राइडेंट ग्रुप (सीएसआर) टीम, एडमिन हेड जर्मनजीत सिंह, रूपिंदर कौर ने कहा कि ट्राइडेंट फाउंडेशन ने किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और पर्यावरण को साफ करने के लिए किसानों को मशीनरी से लैस किया है। गाँव धौला, फतेहगढ़ में छन्ना, संघेड़ा, बरनाला, कान्हके, सेखा और हंडियाया, 2000 एकड़ के कुल क्षेत्रफल में पराली का निस्तारण किया जा चुका है। जबकि पराली का कुल वजन 6000 टन है। ट्राइडेंट फाउंडेशन ने दावा किया है कि खेतों की सफाई का पूरा खर्च भी फाउंडेशन उठाएगा। किसानों को प्रदान की जाने वाली मशीनों में रीपर/मल्चर शामिल हैं जो पौधे के शेष भाग (स्टबल) को शून्य स्तर तक काट देते हैं। एक मेकर मशीन स्प्रेड स्टबल के ढेर लेन बनाती हैं और एक बेलर मशीन गलियों से स्टबल एकत्र करती है और मैन्युअल लोडिंग के लिए स्क्वायर या राउंड बेल बनाती है। यह सारी मशीनरी ट्राइडेंट फाउंडेशन द्वारा किसानों को बिना किसी कीमत के उपलब्ध कराई जाती है।

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