Shri Jain Shvetambara Mahasabha : महान पुण्य के उदय से हमें मानव जन्म मिला : साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री

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साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री
साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री
  •  अष्ट प्रकार की प्रातिहार्य परमात्म भक्ति का आयोजन
  •  आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृृंखला जारी

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha, उदयपुर 13 अगस्त:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में सोमवार को परमात्म भक्ति के स्वरूप में अष्ट प्रातिहार्य पूजन पर विशेष प्रवचन हुए।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद ज्ञान भक्ति एवं पद्मावती माता का जाप का आयोजन किया। भक्तिमय वातावरण में प्रातिहार्य अभिषेक हुआ जो अशोक वृक्ष, पुष्प वर्षा, दिव्य ध्वनि, चामर, सिंहासन, भावमंडल, दुंदुभि, छत्रत्रयी इस प्रकार से पूजन-अर्चन भक्ति का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा की पावन निश्रा में परमात्म भक्ति के स्वरूप में अष्ट प्रातिहार्य पूजन की गई। इस दौरान आयोजित धर्मसभा में साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री ने बताया कि महान पुण्य के उदय से हमें मानव जन्म मिला है और इस जन्म में तारक तीर्थकर परमात्मा का शासन हमें प्राप्त हुआ है। निगोद से मानव भव तक की इस विकास यात्रा में तारक तीर्थकर परमात्मा का हम पर महान् उपकार है। ऐसे परमोपकारी परमात्मा के दर्शन व पूजन करना श्राचक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण और अत्यावश्यक कर्तव्य है।

परमात्मा के अनंत उपकार को नजर समझ करने पर हमारे दिल में परमात्मा के प्रति उत्कृष्ट अहोभाव, आदर भाव, सद्भाव पैदा हो जाना चाहिए। हृदय में भक्ति की वीणा स्वत: ही झंकृत हो जानी चाहिए। हृदय आनंद के सागर से हिलोरे लेने लग जाना चाहिए। समर्पण का संगीत हृदय में गुंजन करने लग जाना चाहिए। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि रविवार को वामादेवी माता का थाल का आयोजन किया जायेगा। आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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