SCO Summit: आतंकवाद क्षेत्रीय व वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा, मिलकर प्रहार जरुरी : पीएम

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आतंकवाद क्षेत्रीय व वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा, मिलकर प्रहार जरुरी : पीएम मोदी

Aaj Samaj (आज समाज), SCO Summit, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को एक बार फिर दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया है और इस समस्या से निपटने के लिए मिलकर लड़ने पर जोर दिया है। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। गौरतलब है कि एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस साल मई में गोवा में एससीओ के विदेश मंत्रियों की मेजबानी की थी। मंगलवार के कार्यक्रम में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई जरूरी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आतंकवाद आज भी क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है और ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई बहुत जरूरी है। इस समस्या के खिलाफ हमें मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, इसके समर्थकों के लिए दोहरे मापदंड नहीं रखने चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, मौजूदा समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। महामारी, तनाव व विवादों से घिरी दुनिया में फर्टिलाइजर और ईंधन की उपलब्धता सभी देशों के लिए बड़ी चुनौती है।

सुधारों को लागू करने में एससीओ बन सकता है बड़ा प्लेटफॉर्म

उन्होंने कहा, एससीओ में भाषा संबंधी परेशानियों को हटाने के लिए हम अपने प्लेटफॉर्म को सबके साथ साझा करने में रुचि रखते हैं। मोदी ने कहा, आगे के सुधारों को लागू करने में एससीओ बड़ा प्लेटफॉर्म बन सकता है। इस बार ईरान भी एससीओ की बैठक में शामिल हुआ जिस पर पीएम मोदी ने खुशी जताई। उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि ईरान आज एससीओ की बैठक में शामिल है। साथ ही हम बेलारूस को एससीओ में शामिल करने के लिए मेमोंरेंडम में हस्ताक्षर का स्वागत करते हैं।

एससीओ का फुल फोकस हितों और आकांक्षाओं पर केंद्रित

मोदी ने कहा, यह आवश्यक है कि एससीओ का फुल फोकस मध्य एशिया के देशों के हितों और आकांक्षाओं पर केंद्रित रहे। बता दें कि एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा गुट है और सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। इस संगठन की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में स्थायी सदस्य बने। भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक बनाया गया था और आम तौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया था, जो मुख्य रूप से यूरेशियन क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित था।

अस्थिरता फैलाने के लिए न हो अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल

पीएम ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, पिछले दो दशक में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जरूरी है कि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या आतंकी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के मकसद से अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल न किया जाए।

एससीओ में सहयोग के लिए बनाए पांच स्तंभ

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं। ये पांच स्तंभ स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक औषधि, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत है। उन्होंने बताया कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई ऊचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं।

इन सभी प्रयासों को हमने दो सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला, ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी पूरा विश्व एक परिवार है। ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। वहीं, दूसरा दूसरा- ‘सेक्योर’ यानी सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण।

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