School Bag Weight: किताबों के बोझ से सुन्न हो रहे हैं हमारे भविष्य के कंधे

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School Bag Weight

अमित वालिया, लोहारूः

School Bag Weight: देश का भविष्य कहलाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चों को बदलते जमाने में शिक्षा की गलाकाट प्रतिस्पर्धा ने उनके बचपन को छीन लिया है।

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बैग के भारी वजन को लेकर जाना पड़ता है स्कूल School Bag Weight

इन छोटे नवाबों को जहां हम अपना भविष्य बताते हैं वहीं ये हमारे भविष्य के कंधों पर किताबों के बोझ पड़ने से ये सुन्न हो गए हैं। वे स्कूल तो जाते हैं मगर अनमने ढंग से जाते हैं। वजह बस्ते का बोझ ही इतना है कि उन्हें ऐसा लगता है कि मानो उनके पास पढ़ने के अलावा और कोई काम ही नहीं है। नगर व आसपास के गांवों में अनगिनत स्कूलों में बच्चे पढ़ाई के लिए जाते हैं लेकिन वे बस्ते के बोझ से परेशान हैं।

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बैग में लगभग 7-8 किलोग्राम वजन School Bag Weight

इन बच्चों से जब बातचीत की गई तो इनका दर्द सामने आया जो किसी भी सुनने वाले के हृदय को झकझोर कर रख देने वाला था। आरव, इशिता का कहना है कि उन्हें हर रोज सुबह जल्दी उठकर नहाना पड़ा है फिर यूनिफॉर्म पहनकर तैयार होना पड़ता है। उसके बाद कक्षा में ले जाने के लिए हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, ड्राइंग, ई.वी.एस., होमवर्क बुक, ज्योमेट्री बॉक्स, लंच बॉक्स सहित बैग में इतना वजन हो जाता है कि उसे उठाना भारी हो जाता है। बैग में लगभग 7-8 किलोग्राम वजन हो जाता है। बैग भारी होने के बावजूद भी उन्हें यह सब लेकर जाना पडता है।

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खेलने-कूदने से भी वंचित School Bag Weight

वहीं दूसरी और अभिभावकों की अपने बच्चों को दूसरे बच्चों से आगे देखने की ललक उनके बचपने से खिलवाड़ कर रहीं हैं वहीं हमारा भविष्य भी खेलने-कूदने से भी वंचित हो गया है। सारा दिन स्कूल में पढ़ाई के बोझ और अभ्यास ने उनकी बाकी की दिनचर्या को भी बहुत प्रभावित किया है। स्कूल संचालक भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बच्चों के कंधों पर बस्ते का बोझ बढ़ रहा है। लेकिन वे भी इसे अपनी मजबूरी बताते हैं। उनका कहना है कि सभी स्कूलों में सब्जेक्ट और सिलेबस इतना हो गया है कि बच्चों के बोझ को कम नहीं किया जा सकता।

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स्कूल बैग भारी नहीं होने चाहिए: अभिभावक School Bag Weight

वहीं अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों के बैग भारी नहीं होने चाहिएं। लेकिन बच्चे ऑल-राउंडर बने, इसका भी ध्यान रखना है। बच्चों के बैग भारी नहीं होने चाहिए इसके लिए क्लास में बच्चों को बुक शेयर करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

वहीं चिकित्सक डा. संदीप कुमार की मानें तो उनका कहना है कि बच्चों के बैग अधिक भारी होने से कमर दर्द और घुटनों के दर्द की शिकायत हो जाती है। वहीं उन पर मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ता है। यहीं चिंता उनके भविष्य को भी खराब करती है। हालांकि विदेशों में स्कूलों में ही बच्चों के बैग को लॉकर में रखा जाता है।

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