Rohtak News : भक्तजनों ने डांडियागरबा खेल कर लिया माँ कुष्मांडा से आशीर्वाद ,श्रद्धा से किया पूजन

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The devotees took blessings from Maa Kushmanda by playing Dandiya Garba and worshipped her with devotion

(Rohtak News) रोहतक। रोहतक माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री जी के सानिध्य में शारदीय नवरात्रों में रविवार को चतुर्थी तिथि को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माँ कूष्मांडा की पूजा अर्चना करके भक्तों ने परिवार की खुशियाली और हरियाली की कामनाएं की माँ कूष्मांडा को प्रसन्न और आर्शीवाद लेने के लिए भक्तों ने मंदिर परिसर में डांडिया व गरबा का भक्तिभाव से आयोजन किया। माँ के भजनों की बौछार पर भक्तजन नाचते-गाते झूमते माँ की भक्ति के रस में डूबे नजर आए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में इस नृत्य साधना से भक्तजन देवी माँ स्वयं भक्तों के हर कष्ट दूर करती है। कार्यक्रम में दुर्गा स्तुति पाठ, प्रवचन, भजन संध्या, पंडित अशोक शर्मा द्वारा आरती और प्रसाद वितरित हुआ। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।

जीवन के गोल चक्र का प्रतीक है डांडिया : साध्वी मानेश्वरी देवी

साध्वी मानेश्वरी देवी ने प्रवचन देते हुए बताया कि गुजरात के इस लोक नृत्य का सीधा-सीधा कनेक्शन दुर्गा माँ से है उन्होंने बताया कि गरबा करते समय नृत्य करने वाले गोले में नृत्य करते हैं, जो जीवन के गोल चक्र का प्रतीक है। वहीं बात करें डांडिया की तो नृत्य मां दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध को प्रदर्शित करता है। डांडिया की रंगीन छड़ी को मां दुर्गा की तलवार मानी जाती है। इस कारण डांडिया को तलवार नृत्य भी कहा जाता है।

मां कूष्मांडा के आशीर्वाद से संतान सुख की प्राप्ति संभव : साध्वी

उन्होंने बताया कि कूष्मांडा संस्कृत का शब्द है और इसका अर्थ कुम्हड़ा है। कहा जाता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है, इसलिए देवी दुर्गा का नाम कूष्मांडा पड़ा। उन्होंने कहा कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से सुख-समृद्धि और उन्नतिदायक का लाभ प्राप्त होता है मां कूष्मांडा के आशीर्वाद से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से व्यक्ति के समस्त कष्टों, दुखों और विपदाओं का नाश होता है।

मां दुर्गा ने असुरों का संहार करने के लिए कूष्मांडा स्वरूप धारण किया था

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कुष्मांडा ने ही इस संसार की रचना की थी, यही कारण है कि इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है, मां के इस स्वरूप को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है। डांडिया व भजनों की प्रस्तुतियों के बीच मंडली द्वारा अपनी सुरीली आवाज में भजन गाकर बेटा जो बुलाए मां दौड़ी-दौड़ी चली आए, मैं जम कै नाचूं आज मैनै नाचण दे, रै भक्तों हो जाओ तैयार, मेला देखण जाणा सै, ओ हो ताली बाजण दे और मैं कमली हो गई मां दे द्वारे, ओ जंगल के राजा मेरी मैय्या को लेके आजा, अंखियों नी आज बंद ना होना मैय्या आना है, तुने मुझे बुलाया शेरावालिए मैं आया आया शेरा वालिए, जे मैं होंदा दातिए मोर तेरे बागा दा, मां आप बुलांदी, बोल साचे दरबार की जय भक्ति गीतों पर मदमस्त श्रद्धालु झूम उठे।

 

 

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