कन्या राशिफल 23 जून 2022

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Virgo Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
********************

दिनाँक:-23/06/2022, मंगलवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कन्या 

आज का दिन आपके लिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कुछ परेशानी भरा रहेगा। यदि आपको कोई आंखों से संबंधित समस्या थी, तो  उसमें आपको डॉक्टरी सलाह लेनी होगी। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। शोक समाचार मिल सकता है। थकान महसूस होगी। व्यावसायिक चिंता रहेगी। संतान के व्यवहार से कष्ट होगा। सहयोगी मदद नहीं करेंगे। व्ययों में कटौती करने का प्रयास करें। वाहन चलाते समय सावधानी रखें। नौकरी मे आप अपने जूनियर से काम निकलवाने में कामयाब रहेंगे, जिसके बाद आप कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। इसमें आपको माता-पिता की राय लेना बेहतर रहेगा। सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को अपने साथियों से सावधान रहना होगा।  वह आपके किसी बनते हुए काम में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर सकते हैं।

तिथि———– दशमी 21:40:54 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– रेवती 06:13:14
योग———- अतिगंड 28:50:37
करण———- वणिज 09:08:02
करण——- विष्टि भद्र 21:40:54
वार———————– गुरूवार
माह———————– आषाढ
चन्द्र राशि——- मीन 06:13:14
चन्द्र राशि——————– मेष
सूर्य राशि—————— मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

***वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:26:10
सूर्यास्त————— 19:16:40
दिन काल————- 13:50:30
रात्री काल———— 10:09:45
चंद्रास्त————— 14:20:34
चंद्रोदय—————- 25:57:29

लग्न—- मिथुन 7°22′ , 67°22′

सूर्य नक्षत्र—————— आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

*** पद, चरण ***

ची—- रेवती 06:13:14

चु—- अश्विनी 12:37:16

चे—- अश्विनी 19:03:36

चो—- अश्विनी 25:32:05

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 06:12 आर्द्रा , 1 कु
चन्द्र = मीन 29°23 रेवती , 4 ची
बुध =वृषभ 15 ° 07′ रोहिणी ‘ 2 वा
शुक्र=वृषभ 04°05, कृतिका ‘ 3 उ
मंगल=मीन 27°30 ‘ रेवती ‘ 4 ची
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°10 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 14:05 – 15:49 अशुभ
यम घंटा 05:26 – 07:10 अशुभ
गुली काल 08:54 – 10:38 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 10:03 – 10:58 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:35 – 16:31 अशुभ

***गंड मूल अहोरात्र अशुभ

***पंचक 05:26 – 06:13 अशुभ

***चोघडिया, दिन
शुभ 05:26 – 07:10 शुभ
रोग 07:10 – 08:54 अशुभ
उद्वेग 08:54 – 10:38 अशुभ
चर 10:38 – 12:21 शुभ
लाभ 12:21 – 14:05 शुभ
अमृत 14:05 – 15:49 शुभ
काल 15:49 – 17:33 अशुभ
शुभ 17:33 – 19:17 शुभ

***चोघडिया, रात
अमृत 19:17 – 20:33 शुभ
चर 20:33 – 21:49 शुभ
रोग 21:49 – 23:05 अशुभ
काल 23:05 – 24:22* अशुभ
लाभ 24:22* – 25:38* शुभ
उद्वेग 25:38* – 26:54* अशुभ
शुभ 26:54* – 28:10* शुभ
अमृत 28:10* – 29:26* शुभ

***होरा, दिन
बृहस्पति 05:26 – 06:35
मंगल 06:35 – 07:45
सूर्य 07:45 – 08:54
शुक्र 08:54 – 10:03
बुध 10:03 – 11:12
चन्द्र 11:12 – 12:21
शनि 12:21 – 13:31
बृहस्पति 13:31 – 14:40
मंगल 14:40 – 15:49
सूर्य 15:49 – 16:58
शुक्र 16:58 – 18:07
बुध 18:07 – 19:17

***होरा, रात
चन्द्र 19:17 – 20:07
शनि 20:07 – 20:58
बृहस्पति 20:58 – 21:49
मंगल 21:49 – 22:40
सूर्य 22:40 – 23:31
शुक्र 23:31 – 24:22
बुध 24:22* – 25:12
चन्द्र 25:12* – 26:03
शनि 26:03* – 26:54
बृहस्पति 26:54* – 27:45
मंगल 27:45* – 28:36
सूर्य 28:36* – 29:26

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:08 से 06:24 तक
कर्क > 06:24 से 08:48 तक
सिंह > 08:48 से 10:52 तक
कन्या > 10:52 से 13:08 तक
तुला > 13:08 से 15:23 तक
वृश्चिक > 15:23 से 17:38 तक
धनु > 17:38 से 19:48 तक
मकर > 19:48 से 21:30 तक
कुम्भ > 21:30 से 23:04 तक
मीन > 23:04 से 00:30 तक
मेष > 00:30 से 02:14 तक
वृषभ > 02:14 से 04:08 तक

***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

***दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

***अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 10 + 5 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष

क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

प्रातः 09:08 से 21:40 तक समाप्त

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

* सर्वार्थ सिद्धि योग

* संयुक्त राष्ट्र लोकसेवा दिवस

*डा०श्यामसुंदर मुखर्जी वलिदान दिवस

*** शुभ विचार ***

किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्री न गर्भिणी ।
कोऽर्थः पुत्रेण जातेन यो न विद्वान्न भक्तिमान् ।।
।। चा o नी o।।

वह गाय किस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो बच्चे को जन्म देती है. उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो ना ही विद्वान हुआ ना ही भगवान् का भक्त हुआ.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

तदित्यनभिसन्दाय फलं यज्ञतपःक्रियाः।,
दानक्रियाश्चविविधाः क्रियन्ते मोक्षकाङ्क्षिभिः॥,

तत्‌ अर्थात्‌ ‘तत्‌’ नाम से कहे जाने वाले परमात्मा का ही यह सब है- इस भाव से फल को न चाहकर नाना प्रकार के यज्ञ, तपरूप क्रियाएँ तथा दानरूप क्रियाएँ कल्याण की इच्छा वाले पुरुषों द्वारा की जाती हैं॥,25॥,

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