Cancer Horoscope 24 March 2022 कर्क राशिफल 24 मार्च 2022

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Cancer Horoscope 24 March 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** *** 

दिनाँक-: 24/03/2022,गुरुवार
सप्तमी, कृष्ण पक्ष
चैत्र
*** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कर्क

Cancer Horoscope 24 March 2022: लेनदारी वसूल होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। चोट व रोग से बचें। क्रोध, उत्तेजना पर संयम रखें। जवाबदारी बढ़ेगी। सोचे कार्यों में सफलता मिलेगी। अवसरों को न जाने दें। परिवार के सदस्यों से मतभेद हो सकते हैं। आपके व्यापार व व्यवसाय में आज आपको बड़ी मात्रा में धन लाभ की उम्मीद दिख रही है, जिससे आपकी किस्मत चमक उठेगी और आपके रुके हुए कार्य भी आज आसानी से पूरे होंगे। भाई बहनों का भरपूर साथ मिलेगा, लेकिन संतान की पढ़ाई से लेकर कोई समस्या आज आपको परेशान कर सकती है।

 

तिथि——– सप्तमी 24:09:15 तक

पक्ष————————कृष्ण
नक्षत्र——— ज्येष्ठा 17:28:42
योग———- सिद्वि 07:27:00
योग——–व्यतापता 28:35:21
करण—– विष्टि भद्र 13:12:29
करण———- बव 24:09:15
वार——————— गुरूवार
माह————————-चैत्र
चन्द्र राशि —– वृश्चिक 17:28:42
चन्द्र राशि ———————–धनु
सूर्य राशि—————– मीन
रितु———————–वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————– प्लव
संवत्सर (उत्तर) ————-आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)——2078
शाका संवत————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:20:10
सूर्यास्त————- 18:31:08
दिन काल———– 12:10:58
रात्री काल———– 11:47:54
चंद्रास्त————- 10:31:15
चंद्रोदय————– 25:04:09

लग्न—-मीन 9°12′ , 339°12′

सूर्य नक्षत्र——– उत्तराभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र————— ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया—————–रजत

पद, चरण 

यी—- ज्येष्ठा 11:49:25

यू—- ज्येष्ठा 17:28:42

ये—- मूल 23:08:00

यो—- मूल 28:47:22

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** 
सूर्य=मीन 09:12 ‘उ o भा o , 2 थ
चन्द्र =वृश्चिक 23°23 ‘ ज्येष्ठा , 3 यी
बुध = कुम्भ 29 ° 07’ पूo भा o ‘ 3 दा
शुक्र=मकर 22°05, श्रवण ‘ 4 खो
मंगल=मकर 19°30 ‘ श्रवण ‘ 3 खे
गुरु=कुम्भ 25°30 ‘ पू o भा o, 2 सो
शनि=मकर 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 01°00’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 01°00 विशाखा , 4 तो

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 13:57 – 15:28 अशुभ
यम घंटा 06:20 – 07:52 अशुभ
गुली काल 09:23 – 10:54 अशुभ
अभिजित 12:01 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 10:24 – 11:13 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:16 – 16:05 अशुभ

*** गंड मूल अहोरात्र अशुभ *** 

*** चोघडिया, दिन *** 
शुभ 06:20 – 07:52 शुभ
रोग 07:52 – 09:23 अशुभ
उद्वेग 09:23 – 10:54 अशुभ
चर 10:54 – 12:26 शुभ
लाभ 12:26 – 13:57 शुभ
अमृत 13:57 – 15:28 शुभ
काल 15:28 – 16:59 अशुभ
शुभ 16:59 – 18:31 शुभ

*** चोघडिया, रात *** 
अमृत 18:31 – 19:59 शुभ
चर 19:59 – 21:28 शुभ
रोग 21:28 – 22:57 अशुभ
काल 22:57 – 24:25* अशुभ
लाभ 24:25* – 25:54* शुभ
उद्वेग 25:54* – 27:22* अशुभ
शुभ 27:22* – 28:51* शुभ
अमृत 28:51* – 30:19* शुभ

*** होरा, दिन *** 
गुरु 06:20 – 07:21
मंगल 07:21 – 08:22
सूर्य 08:22 – 09:23
शुक्र 09:23 – 10:24
बुध 10:24 – 11:25
चन्द्र 11:25 – 12:26
शनि 12:26 – 13:27
गुरु 13:27 – 14:27
मंगल 14:27 – 15:28
सूर्य 15:28 – 16:29
शुक्र 16:29 – 17:30
बुध 17:30 – 18:31

*** होरा, रात *** 
चन्द्र 18:31 – 19:30
शनि 19:30 – 20:29
गुरु 20:29 – 21:28
मंगल 21:28 – 22:27
सूर्य 22:27 – 23:26
शुक्र 23:26 – 24:25
बुध 24:25* – 25:24
चन्द्र 25:24* – 26:23
शनि 26:23* – 27:22
गुरु 27:22* – 28:21
मंगल 28:21* – 29:20
सूर्य 29:20* – 30:19

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मीन > 06:00 से 07:30 तक
मेष > 07:30 से 10:10 तक
वृषभ > 10:10 से 11:54 तक
मिथुन > 11:54 से 13:14 तक
कर्क > 13:14 से 15:34 तक
सिंह > 15:34 से 16:39 तक
कन्या > 16:39 से 07:51 तक
तुला > 07:51 से 10:22 तक
वृश्चिक > 10:22 से 01:34 तक
धनु > 01:34 से 02:38 तक
मकर > 02:38 से 04:28 तक
कुम्भ > 04:28 से 06:00 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार *** 

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 7 + 5 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल ***

22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

*** भद्रा वास एवं फल ***

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

दोपहर 13:12 तक समाप्त

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

* शीतला सप्तमी पूजन (बासोड़ा)

* गुरु उदय रात्रि (22:44)

*** शुभ विचार ***

निःस्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामो मण्डनप्रियः ।
नाऽविदग्धः प्रियंब्रूयात् स्पष्टवक्ता न वञ्चकः ।।
।।चा o नी o।।

वह व्यक्ति जिसके हाथ स्वच्छ है कार्यालय में काम नहीं करना चाहता. जिस ने अपनी कामना को ख़तम कर दिया है, वह शारीरिक शृंगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा हुआ व्यक्ति है वो मीठे बोल बोल नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14

सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः ।,
तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रदः पिता ॥,

हे अर्जुन! नाना प्रकार की सब योनियों में जितनी मूर्तियाँ अर्थात शरीरधारी प्राणी उत्पन्न होते हैं, प्रकृति तो उन सबकी गर्भधारण करने वाली माता है और मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूँ॥,4॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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