गुलाबी सुंडी के प्रकोप, गुणवत्तापूर्ण बीजों और कीटनाशकों की कमी के कारण किसान हो रहे है दूर
पिछले पांच वर्षों में कपास उत्पादन में 71 प्रतिशत की भारी गिरावट का सामना करना पड़ा
Punjab News Update (रोहित रोहिला), चंडीगढ़। पंजाब के किसानों का अब कपास की खेती से मोह भंग होता जा रहा है। जबकि दूसरे राज्यों के किसान कपास की खेती के मामले में पंजाब से कई बेहतर है। ऐसा नहीं है कि पंजाब के किसान कपास की खेती करना नहीं चाहते है। लेकिन कुछ कारणों की वजह से अब सूबे के काफी किसान कपास की खेती से परहेज करने के साथ दूसरी चीजों की खेती की ओर अपना ध्यान दे रहे है।
पांच साल में 71 प्रतिशत कम हुआ उत्पादन
पंजाब की कपास उत्पादक पट्टी को पिछले पांच वर्षों में कपास उत्पादन में 71 प्रतिशत की भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। इसके साथ ही, कपास की खेती का क्षेत्र भी घटकर आधा रह गया है। गुलाबी सुंडी के प्रकोप, गुणवत्तापूर्ण बीजों और कीटनाशकों की कमी के कारण किसान कपास की खेती से दूर हो रहे हैं। राज्य सरकार ने अब केंद्र से बीजी3 बीज उपलब्ध कराने की मांग की है ताकि कपास की खेती को पुनर्जीवित किया जा सके।
2024-25 में 2.20 लाख गांठों तक रह गई
उत्पादन में गिरावट को लेकर 2020 -21 में 7.73 लाख गांठों से घटकर 2024-25 में 2.20 लाख गांठों तक रह गई है। खेती क्षेत्र में कमी का अदंजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2.52 लाख हेक्टेयर से घटकर 1 लाख हेक्टेयर तक ही रह गई है। किसानों की सरकार की मांग है कि केंद्र से बीजी3 बीज उपलब्ध करावाए ं जाए। जबकि किसानों का धान और गेहूं की ओर रुख करना, जिससे भूजल स्तर पर दबाव बढ़ेगा। जोकि चिंता का विषय है।
हरियाणा और राजस्थान में कपास का उत्पादन पंजाब से बेहतर
हरियाणा और राजस्थान में कपास का उत्पादन पंजाब से बेहतर है। काटन एसोसिएशन आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में कपास का उत्पादन और खेती का क्षेत्र लगातार कम हो रहा है। मालवा क्षेत्र, जो कपास उत्पादन के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से प्रभावित हुआ है। किसान अब धान और गेहूं जैसी अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे फसल विविधीकरण के प्रयासों को झटका लगा है।
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