पंजाब सीएम ने प्रधानमंत्री से की कृषि कानून रद करने की मांग

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New Delhi, Aug 11 (ANI): Punjab Chief Minister Capt Amrinder Singh calls on PM Narendra Modi, in New Delhi on Wednesday. (ANI Photo)

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली/चंडीगढ़:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विवादित खेती कानून रद करने और किसानों को मुफ्त कानूनी सहायता श्रेणी में शामिल करने के लिए संंबंधित कानून में संशोधन करने के लिए तुरंत कदम उठाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की और उनको 2 पत्र भी सौंपे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मोदी को 3 खेती कानूनों का जायजा लेकर उन्हें तुरंत रद करने के लिए कहा क्योंकि इन कानूनों के कारण पंजाब और अन्य राज्यों के किसानों में बड़े स्तर पर गुस्सा पाया जा रहा है जोकि बीते साल 26 नवंबर से दिल्ली की सरहदों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन जिसमें 400 किसानों और खेत कामगारों को अपनी जान गंवानी पड़ी, का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संघर्ष से पंजाब और देश के लिए सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा खड़ा होने की संभावना है क्योंकि पाकिस्तान की शह प्राप्त भारत विरोधी ताकतें सरकार के प्रति किसानों की नाराजगी का नाजायज लाभ उठाने की ताक में हैं। इस मुद्दे का चिरस्थाई हल तलाशने के लिए भारत सरकार की तरफ से किसानों की जायज चिंताओं का जल्द हल किए जाने के लिए प्रधानमंत्री को दखल देने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय चल रहा किसान आंदोलन न सिर्फ पंजाब में आर्थिक सरगर्मियों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इसका सामाजिक ताने-बाने पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। खास करके उस समय पर जब राजनीतिक पार्टियां और बाकी समूह अपने-अपने स्टैंड पर अड़े हुए हैं। कैप्टन ने कहा कि उन्होंने इससे पहले भी प्रधानमंत्री से पंजाब से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मीटिंग करने के लिए समय देने की मांग की थी। उन्होंने धान की पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल मुआवजा देने और डीएपी की कमी के अंदेशों का हल करने की भी मांग की क्योंकि खाद की कमी से किसानों की समस्याएं व खेती कानूनों के कारण पैदा हुआ संकट और गहरा हो सकता है। एक अन्य पत्र में मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि जमीनें बांटे जाने और पट्टे पर जमीन लेने वालों तथा मार्केट आॅपरेटरों व एजेंटों के साथ लगातार विवाद के कारण किसानों को इन दिनों अदालती मामलों का सामना करना पड़ रहा है जिससे उनके पहले ही थोड़े वित्तीय साधनों पर और बोझ पड़ता है। ऐसे अदालती मामलों से किसानों पर पड़ते वित्तीय बोझ को घटाने की जरूरत पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने उनका इस बात की तरफ ध्यान दिलाया कि केंद्रीय कानूनी सेवाएं अथॉरिटीज एक्ट-1987 में कुछ खास श्रेणियों के उन व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता देने का प्रावधान है जोकि समाज के कमजोर वर्ग समझे जाते हैं। किसानों को भी इन्हीं में से ही एक समझते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को कई बार वित्तीय समस्याओं के कारण आत्म-हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, हालांकि यह वर्ग हौसला न हारते हुए अपने जिंदगी की कीमत पर भी अपनी जमीन की काश्त करने को प्राथमिकता देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए यह समय की जरूरत है कि कानूनी सेवाएं अथॉरिटीज एक्ट-1987 के सेक्शन 12 में संशोधन करते हुए इसमें किसानों और खेती कामगारों को भी शामिल किया जाए जिससे वह मुफ्त कानूनी सेवाएं हासिल करने के हकदार बन कर अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए अदालतों में अपना बचाव कर सकें।
उन्होंने महसूस किया कि इस कदम से किसानों की आत्महत्याओं के मामले घटेंगे और उनको कानूनी व वित्तीय अधिकारों की बेहतर सुरक्षा को यकीनी बनाया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अपील की कि किसानों के कल्याण से संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों को यह सलाह दी जाए कि किसानों के बड़े हितों को देखते हुए कानूनी सेवाएं अथॉरिटीज एक्ट-1987 में जरूरी संशोधन किए जाएं।

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