Public representative should Increase public morale: लागों का मनोबल बढ़ाएं जनप्रतिनिधी

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पूरा देश कोरोना महामारी से मुकाबला करने में लगा है। देश की जनता घरों में बंद रहकर लाकडाउन का पालन कर रही है। महाराष्ट्र,पंजाब व चंडीगढ़ में तो कफ्र्यू भी लगा हुआ है। कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ती जा रही है। देश में कोरोना से अब तक 3030 लोग पॉजिटिव पाए गए जिनमे से 77 लोगों की मौत हो चुकी हैं। कोरोना के बढ़ते प्रकोप से लोगों में भय व्याप्त हो रहा है। ऐसे में कुछ हिम्मत बंधाने वाली तस्वीरें भी सामने आई है जिनकी सभी जगह सराहना हो रही है।

राजस्थान के उप मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र टोक पहुंचकर कोरोना पीडि़त लोगों के राहत दिलाने के उपाय कर रहे हैं। राजस्थान का टोंक जिला भी कोरोना से काफी प्रभावित हो रहा है। अब तक जिले में 16 पाजिटिव केस मिल चुके हैं। ऐसे में सचिन पायलट का अपने क्षेत्र की जनता के बीच होना लोगों में एक नया आत्मविश्वास पैदा कर रहा है तथा कोरोना से लडऩे की ताकत प्रदान कर रहा है।  वो अधिकारियों के साथ लगातार चर्चा कर राहत के उपाय कर रहे हैं।

इसी तरह राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह भी पिछले 3 दिनों से लगातार भरतपुर जिले का दौरा कर लोगों को कोरोना से लडऩे की हिम्मत बंधा रहे हैं। विश्वेंद्र सिंह ने तो भरतपुर जिले की हरियाणा से लगती अंतर राज्य सीमा पर जाकर भी जायजा लिया तथा सीमा पर आवाजाही रोकने के लिए किसी तरह की व्यवस्था ना देख उन्होंने जमकर अधिकारियों की क्लास भी ली तथा तत्काल व्यवस्था कराई। सचिन पायलट, राजा विश्वेंद्र सिंह जैसे जनप्रतिनिधियों से देश के अन्य नेताओंं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। अन्य जनप्रतिनिधियों को भी अपने अपने क्षेत्र में जाकर लोगों की हिम्मत बनानी चाहिए व जरूरतमंद लोगों तक व्यवस्थित तरीके से राहत सामग्री पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करना आज के वक्त की जरूरत भी है तथा एक सच्चे जनप्रतिनिधि होने का धर्म भी है। ऐसे संकट काल में अपने मतदाताओं के मध्य रहकर काम करने वाला ही सच्चा जनप्रतिनिधि कहलाता है।

वैश्विक महामारी कोरोना से लडऩे के लिए केंद्र व राज्य सरकार मिलकर प्रयास कर रही है। सभी एकजुटता से इस महामारी को हराने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी सक्रियता से पूरे देश की व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। वीडियो कांफ्रेंसिग, मोबाइल के माध्यम से लोगों से निरंतर संपर्क स्थापित कर व्यवस्थाओं को सुचारू बनाने का प्रयास करें हैं। लाकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल की बैठक तो की ही उसके साथ ही देश के सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रीगण, समाचार पत्रों व टेलीविजन चैनलों के संपादको, विभिन्न धर्मो के धर्म गुरूओं, खिलाडिय़ों, उद्योगपतियों, चिकित्सकों, चिकित्साकर्मियों, विदेशों में कार्यरत राजदूतों से संवाद स्थापित कर उन्हें कोरोना पीडि़त लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए कह रहे हैं। यदि अन्य जनप्रतिनिधि भी इसी तरह करने लगे तो देश में कोरोना के खिलाफ एक सकारात्मक माहौल बनेगा तथा लोगों का मनोबल बढ़ेगा। सभी लोग मिल जुलकर हिम्मत के साथ कोरोना का मुकाबला करेंगें। कोरोना को लेकर लोगों के मन में व्याप्त भय दूर होगा।

देश में सभी जनप्रतिनिधियों के पास अपने अपने क्षेत्र के प्रमुख लोगों व मतदाताओं के मोबाइल नंबर रहता है। यदि जनप्रतिनिधि कोरोना संक्रमण के डर से लोगों के पास भी नहीं जाए तो अपने घर में रहकर भी टेलीफोन के माध्यम से अपने क्षेत्र के लोगों से निरंतर बात कर व्यवस्थाओं का जायजा ले सकते हैं। उनको जरूरत वस्तुएं उपलब्ध करवा सकते हैं। जिस तरह से देशभर में सरकारी अधिकारी, कर्मचारी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस बल, सफाई कर्मी, फायर ब्रिगेड के लोग व अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभागों के कर्मचारी पूरी एकजुटता के साथ कोरोना पीडि़त लोगों की सहायता में जुटे हुए हैं। उन्हीं के साथ यदि जनप्रतिनिधि भी जुड़ जाए तो काम करने वाले सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ेगा। साथ ही व्यवस्था में कहीं कोई खामी रहती है तो जनप्रतिनिधियों की निगरानी के कारण वह भी दूर हो जाएगी। जिसका लाभ देश की आम जनता को मिलेगा और सरकार द्वारा दी जा रही राहत का सही व समुचित उपयोग हो पाएगा।

देश के सभी जनप्रतिनिधियों के लिए आज का समय एक गंभीर चुनौती का समय है। ऐसे समय में उनको स्वंय ही आगे आकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए ताकि लोगों को उनके अनुभव का लाभ मिले सके। इन दिनो प्राय देखने में आ रहा है कि सांसद व विधायक अपने क्षेत्रीय विकाश कोष से कोरोना पीडि़तों के लिए बार-बार छोटी-छोटी राशि स्वीकृत कर उन्हें विभिन्न समाचार पत्रों, टेलीविजन चैनलों के माध्यम से प्रसारित कर वाहवाही लूट रहे हैं जो सरासर गलत है। इस समय सभी सांसद व सभी राज्यों के विधायकों को अपने क्षेत्रीय विकास कोष की समस्त राशि एकमुश्त सरकार को सौंप देनी चाहिए ताकि सरकार उससे लोगों को राहत प्रदान करा सके। जनप्रतिनिधियों के पास राशि प्राप्त करने के लिए बार-बार सरकारी अधिकारियों को चक्कर नहीं काटना पड़े। बहुत जगह जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रदत राशि से अभी तक सामान की खरीदी शुरू भी नहीं हो पा रही है। लम्बी सरकारी प्रक्रिया के चलते राहत राशि अभी सरकारी कागजो तक ही सीमित है। वर्तमान में लोगों को जो राहत सामग्री प्रदान की जा रही है वह भामाशाहों व स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से ही की जा रही है।

ऐसे में सरकार को भी चाहिए कि जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रदत्त राशि की स्वीकृति की प्रक्रिया को तेज करते हुए उस राशि से तत्काल राहत सामग्री खरीदें। जनप्रतिनिधियों को सरकारी कोष के अलावा अपने पास से भी राहत कोष में मदद करनी चाहिये। जनप्रतिनिधियों का लोगों से सीधा सम्पर्क होता है। इस कारण वो अपने सम्पर्को से सम्पन्न लोगों को प्रेरित कर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री सहायता कोष में राशि प्रदान करवाएं तथा स्थानीय स्तर पर भी लोगों को राहत सामग्री प्रदान करने के लिये प्ररित करें।

देश में बहुत से लोग दैनिक मजदूरी करने वाले होते है जो हर दिन कमाते खाते हैं उनके पास बचत के नाम पर कुछ नहीं होता है ऐसे लोगों का मदद की सबसे अधिक जरूरत होती है। ऐसे लोगों के लिये यदि जनप्रतिनिधि कुछ कर पाते हैं तो उनको जनता की भरपूर दुआ तो मिलेगी ही साथ ही उनकी छवि पहले से अधिक लोकप्रिय होगी। जिससे उनको अपने क्षेत्र में लोगों का पहले से भी अधिक समर्थन हासिल हो पाएगा।

रमेश सर्राफ धमोरा

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