मोहाली औद्योगिक जमीन की नीलामी में पीएसआईईसी की कोई भूमिका नहीं थी : सरकार

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आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़ :
इस बात को दोहराते हुए कि फेज-8, मोहाली में स्थित 31 एकड़ औद्योगिक जमीन के प्लॉट की नीलामी एसेटस कंस्ट्रकशन कंपनी आॅफ इंडिया लिमटिड (आरसिल) के द्वारा की गई थी, जो कि एसएआरएफएईएसआई एक्ट, 2002 की धाराओं के अधीन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से रजिस्टर्ड एक एजेंसी है। उद्योग विभाग के प्रवक्ता ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। प्रवक्ता ने कहा कि पीएसआईईसी की उक्त नीलामी करवाने में कोई भूमिका नहीं थी और जेसीटी इलेक्ट्रोनिक्स, प्लॉट के अलॉटी को विभिन्न वित्तीय संस्थाओं/बैंकों के द्वारा दिए गए कर्ज की अदायगी करने में डिफॉल्टर होने के कारण अदालतों द्वारा उसको दिवालिया घोषित किए जाने के बाद आरसिल द्वारा कानून के अनुसार जमीन का कब्जा ले गया था। मंगलवार को मीडिया के एक हिस्से में छपी मीडिया रिपोर्टों के जवाब में प्रवक्ता ने आगे बताया कि बाद में आरसिल के द्वारा एसएआरएफएईएसआई एक्ट की धाराओं के अंतर्गत पारदर्शी ढंग से की गई आॅनलाइन सार्वजनिक नीलामी में प्लॉट को फरवरी 2020 में 90.56 करोड़ रुपए की कीमत पर नीलाम किया गया था। इसके बाद पीएसआईईसी ने जेसीटी इलेक्ट्रोनिक्स के साथ किए गए 45.28 करोड़ यानि 50 फीसद बिक्री मूल्य की लीज डीड की शर्तों की पालना के अंतर्गत नाजायज वृद्धि का दावा पेश किया था। पीएसआईईसी ने आरसिल के पास दावा पेश करने से पहले इस मामले में सीनियर वकील की सलाह ली थी। पीएसआईईसी, आरसिल और मेसर्ज जीआरजी डिवलेपरज एंड प्रमोटरज एलएलपी के बीच एक तीन-पक्षीय समझौता किया गया था, जिससे सरकार / पीऐसआईईसी के वित्तीय हितों की रक्षा की जा सके, जिसने नीलामी खरीदार को पीएसआईईईसी के बकाए को समय पर अदा करने के लिए निर्धारित किया था। यह स्पष्ट किया गया कि पीएसआईईसी ने नीलामी खरीददार के पक्ष में संपत्ति के तबादले को दिखाने के लिए एनओसी भी जारी नहीं की है। दरअसल, अपने हितों की रक्षा के लिए पीएसआईईसी ने आरसिल और नीलामी खरीदार को स्पष्ट तौर पर बताया था कि वित्त विभाग, पंजाब सरकार के द्वारा मामले के फैसले के बाद ही तबादले के लिए एनओसी प्रदान की जाएगी। पीएसआईईसी ने न तो तबादले के लिए एनओसी जारी किया है और न ही नीलामी खरीदार को संपत्ति का कब्जा दिया गया है।

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