Jan Shiksha Adhikar Manch Kaithal: भारत सरकार शिक्षा पर मात्र कर रही जीडीपी का 2.64 प्रतिशत पैसा खर्च : जन शिक्षा अधिकारी मंच

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धरने पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कर्मचारी।
धरने पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कर्मचारी।

Aaj Samaj (आज समाज),Jan Shiksha Adhikar Manch Kaithal, मनोज वर्मा,कैथल: जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 475 वें दिन भी जारी रहा। धरने की अध्यक्षता सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव रामपाल शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार शिक्षा पर जीडीपी का 2.64 प्रतिशत ही खर्च कर रही है। जोकि बहुत कम है। जिसके कारण भारत में शोध कार्य नहीं हो रहे तथा शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। ग्रामीण आंचल के बहुत से महाविद्यालयों को बंद करने की तैयारी की जा रही है। इससे ग्रामीण आंचल के विधार्थियों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करना दूभर हो जाएगा। खासकर महिलाओं की शिक्षा बहुत ही प्रभावित होगी। क्योंकि आज भी रुढि़वादी परिवारों में महिलाओं के दूरदराज के पढऩे नहीं भेजा जाता।

नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के लिए विदेशों के कैब्रिज और आक्सफोर्ड जैसे ख्यातिप्राप्त अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के कैम्पस भारत में ही खोले जाने की बात कही गई है। जिससे भारतीय छात्रों को इन्हीं कै म्पसों में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्राप्त हो सके। इसका हम स्वागत करते है। लेकिन इन संस्थानों को स्वायत्तता के नाम पर खुली छूट देना न्यायसंगत नहीं है। यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि क्या उन्हें यहां इस तरह की शैक्षणिक संस्कृति मिल सकेगी। जिस तरह की संस्कृति उनके मूल संस्थानों की है। स्वायत्तता के नाम पर क्या वे उस तरह की शिक्षा यहां पर दे पाएंगे। एक तरफ मौजूदा सरकार प्राचीन भारतीय संस्कृति की बात कर रही है और यहां देश में हिन्दू मुस्लिम दंगों की बिसात रची जा रही है। वहीं दूसरे देशों की संस्कृति शिक्षा के माध्यम से भारत में लाई जा रही है।

यह दोनों विरोधाभासी कदम क्या भारत के लिए उचित होंगे। जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के संयोजक जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति को असंसदीय और अलोकतांत्रिक ढंग से लागू किया गया है। कोरोना काल में जब सब कुछ बंद था, एक अध्यादेश के जरिए इसे लागू किया गया। संसद में व्यापक बहस भी नहीं हुई। शिक्षा के द्वारा नागरिकों और समाज का निर्माण किया जाता है। शिक्षा जोकि समाज को नई दिशा प्रदान करती है। इसके बारे में नई शिक्षा नीति लाकर जल्दबाजी में इसको लागू करने की क्या जरूरत थी ? नई शिक्षा नीति में धर्मनिरपेक्षता जैसे महत्वपूर्ण विषय की भी अनदेखी की गई है और साम्प्रदायिकता को भी बढ़ावा दिया गया है।

नई शिक्षा नीति के नाम पर हरियाणा में अनेक प्रयोग किए जा रहे हैं। चिराग योजना के नाम पर बच्चों को सरकारी विद्यालयों से निकाला जा रहा है और निजी विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में पढऩे के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में ई लर्निंग द्वारा पढऩे पर बहुत जोर दिया जा रहा है। हम यह मानते हैं कि बदलते समयानुसार शिक्षा में तकनीक का प्रयोग अति आवश्यक है, परंतु तकनीक का प्रयोग एक टूल की तरह होना चाहिए न कि अध्यापक के प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) के तौर पर। हरियाणा में टैब के नाम पर भी यही हो रहा है। जबकि इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं। क्योंकि विधार्थी इन पर अध्ययन की बजाय कुछ और ही गतिविधियां कर रहे है।

इनके बढ़ते दुष्परिणामों के कारण बहुत से गांवों की पंचायतों ने इन्हें वापस जमा करवाने पर भी जोर दे दिया है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान बिजेंद्र मोर ने कहा कि शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर दर्ज एफआईआर को तुरंत रद्द किया जाए अन्यथा 26 जनवरी के पश्चात हम बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे और इस सबकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। धरने पर आज शमशेर कालिया,दल सिंह,सरदूल सिंह, सुरेश द्रविड़, हजूर सिंह, रमेश देबण, ओमपाल भाल, कृष्ण कुमार, बलबीर सिंह, जोगेंद्र सिंह, ईश्वर सिंह बधाना, वीरभान हाबड़ी, रामशरण राविश, सतबीर प्यौदा, रामदिया, कलीराम आदि भी उपस्थित थे।

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