बाल न्याय अधिनियम के तहत बहाली विधियों के मूल्यांकन शीर्षक वाली व्यापक शोध रिपोर्ट जारी
Punjab News Update (आज समाज), चंडीगढ़। पंजाब की सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास मंत्री डा. बलजीत कौर ने बाल अपराध और संस्थागत ढांचा पंजाब में बाल न्याय (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा) अधिनियम, 2015 के तहत बहाली विधियों का मूल्यांकन शीर्षक के तहत एक व्यापक शोध रिपोर्ट जारी की। कैबिनेट मंत्री ने बताया कि यह शोध प्रोजेक्ट पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन द्वारा पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला को सौंपा गया था। जिसका उद्देश्य बाल न्याय अधिनियम के तहत पुनर्स्थापन विधियों और संस्थागत प्रतिक्रियाओं का राज्यव्यापी मूल्यांकन करना था।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का अध्ययन है रिपोर्ट
मंत्री ने आगे बताया कि यह रिपोर्ट, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर और असिस्टेंट प्रोफेसर डा. गौतम सूद द्वारा लिखी गई जिसमें जेंडर माहिर डा. प्रेरणा सिंह और शोध सहायक जसमीन कौर का योगदान शामिल है, एक गहराई से किए गए, राज्य-व्यापी अध्ययन का परिणाम है जो कानून के टकराव वाले बच्चों के लिए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत उपलब्ध संस्थागत ढांचों और बहाली विधियों का गहराई से मूल्यांकन करती है।
इस मौके पर बोलते हुए डॉ. बलजीत कौर ने पंजाब सरकार की बाल सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की और रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशों पर राज्य सरकार के दृढ़ इरादे को दोहराया। मंत्री ने कहा कि यह अध्ययन हमारी किशोर न्याय प्रणाली के अंदरूनी अंतराल और संभावनाओं पर बहुत जरूरी ध्यान केंद्रित करता है। यह शोध पंजाब में किशोर अपराध के प्रति पुनर्वास और बहाली प्रतिक्रियाओं को बढ़ाने में हमारी अगुवाई करेंगे ।
टीम के प्रयासों की सराहना की
अध्ययन के मुख्य बिंदु प्रस्तुत करते हुए, डा. गौतम सूद ने क्षमता निर्माण, सेवाओं के अभिसरण और हितधारकों की संवेदनशीलता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “यह मूल्यांकन संस्थागत तालमेल, समुदाय-आधारित हस्तक्षेप और कानून के टकराव वाले बच्चों को सचमुच सुधारने में बहाली न्याय के मूल्य की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। चेयरपर्सन कंवरदीप सिंह ने शोध टीम के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट बच्चों के अधिकारों को न्याय प्रणाली से और गहराई से जोड़ने की आवश्यकता को उजागर करती है। उन्होंने बताया कि हर बच्चे, भले ही वह किसी न्यायिक कार्यवाही में हो, उसके अधिकारों की पूरी रक्षा होनी चाहिए।
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