Parliamentary Committee Approval: आपराधिक कानूनों का नाम हिंदी में करने पर संसदीय समिति ने लगाई मुहर

0
55
Parliamentary Committee Approval
नया संसद भवन।

Aaj Samaj (आज समाज), Parliamentary Committee Approval, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ब्रिटिश हुकूमत में बने कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य कानून में बदलाव की पहल की है। बता दें कि कानूनों के नाम हिंदी में होने के फैसले पर करीब 10 विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और इस बीच संसद की एक समिति ने मंगलवार को साफ कर दिया कि तीन प्रस्तावित आपराधिक कानूनों का नाम हिंदी में होना असंवैधानिक नहीं हैं।

  • नाम हिंदी में होना असंवैधानिक नहीं 

समिति ने संहिता शब्द को अंग्रेजी में भी पाया

बीजेपी के सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने संविधान के अनुच्छेद 348 को संज्ञान में लिया। अनुच्छेद 348 के अनुसार शीर्ष अदालत और हाईकोर्ट के साथ-साथ अधिनियमों, विधेयकों और अन्य कानूनी दस्तावेजों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा अंग्रेजी भाषा होनी चाहिए। राज्यसभा में समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया, समिति ने संहिता शब्द को अंग्रेजी में भी पाया, इसलिए यह संविधान के अनुच्छेद 348 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है।

समिति  गृह मंत्रालय के जवाब से संतुष्ट

समिति गृह मंत्रालय के जवाब से संतुष्ट है। साथ ही इस बात से सहमत है कि प्रस्तावित कानूनों को दिए गए नाम अनुच्छेद 348 का उल्लंघन नहीं हैं। बता दें कि इसी साल अगस्त में संसद के मानसून सत्र के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य विधेयक (इंडियन एविडेंस एक्ट) पेश किया था। उन्होंने सभापति से विधेयकों में बदलाव की विस्तृत जांच के लिए इसे स्थायी समिति के पास भेजने का आग्रह किया था।

केंद्र के कदम को बताया था संविधान के खिलाफ

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने भी प्रस्तावित आपराधिक कानूनों के लिए हिंदी नामों के उपयोग के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके अलावा, मद्रास बार एसोसिएशन ने तीनों विधेयकों का नाम हिंदी में रखने के केंद्र के कदम को संविधान के खिलाफ बताया है।

एसोसिएशन ने इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने विधेयकों को हिंदी नाम देने पर कहा था, मैं यह नहीं कह रहा कि विधेयकों को हिंदी नाम नहीं दिया जा सकता है, लेकिन जब अंग्रेजी को इस्तेमाल किया जाता है तो इनके नाम अंग्रेजी में दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा था कि यदि हिंदी का इस्तेमाल किया जाता तो हिंदी नाम दे सकते थे। हालांकि, जब कानूनों का मसौदा तैयार किया जाता है, तो यह अंग्रजी में तैयार किया जाता है।

यह भी पढ़ें :

Connect With Us: Twitter Facebook

SHARE