Aaj Samaj (आज समाज),Pushpadant Sagar Maharaj,पानीपत : श्री दिगंबर जैन मंदिर, जैन मोहल्ला के प्रांगण में पुष्पगिरि प्रणेता गणाचार्य पुष्पदंत सागर महाराज ने बताया कि सभी धर्मों का राजा जैन धर्म है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए कि जैन धर्म में सत्य भी है, अहिंसा भी है, करुणा भी है, दया भी है और प्रेम की भावना भी है। परमात्मा बनने का अधिकार सब जीवों को है। जैन धर्म में जन्म लेना ही पुण्य का फल है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में सब जीवों की रक्षा के बारे में शिक्षा दी गई है। भगवान महावीर ने भी यही उपदेश दिया है कि जियो और जीने दो यानी खुद भी जियो और दूसरे को भी जीने दो। उन्होंने कहा जीव चाहे वह किसी भी रूप में है हमें उसकी रक्षा करनी चाहिए।
Pushpadant Sagar Maharaj : विश्व में शांति चाहिए तो सभी को जैन धर्म के उपदेशों को अपनाना होगा : पुष्पदंत सागर महाराज
जैन मुनि सदैव अपने पास मोरपंख की बनी हुई पीछे रखते हैं। यह वह मोर पंख होते हैं जो मोर स्वयं जंगल में छोड़ता है और उसके द्वारा मोर पंख की पिच्छी बनाई जाती है और यह पिच्छी जीवों के कल्याण के लिए कार्य करती है। जहां भी जैन मुनि बैठते हैं पहले पिच्छी से उस जगह को साफ करते हैं, ताकि सूक्ष्मजीव को भी कोई नुकसान ना हो क्योंकि मोर पंख बहुत कोमल होते हैं। उन्होंने कहा कि आज हम सब लोगों को और आज इस पूरे विश्व को जैन धर्म की आवश्यकता है। जैन धर्म के उपदेशों की आवश्यकता है। अगर विश्व में शांति चाहिए तो सभी को जैन धर्म के उपदेशों को अपनाना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान शब्द आदर सूचक शब्द है। यह बात उन्होंने किसी श्रोता के सवाल कि “भगवान किसे कहते हैं” का जवाब देते हुए कहा उन्होंने जो भी इंसान मुझसे मिलने आता है मैं उसे भगवान कहकर संबोधित करता हूं मैं सबको भगवान शब्द से संबोधन देता हूं। उन्होंने कहा कि भगवान शब्द आदर सूचक शब्द है उन्होंने कहा कि सत्य और अहिंसा को भगवान स्वरूप मानने वाले गांधी ने भी यही गुणगाया था कि ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान। भगवान जिनके चरणों में हम अपने कर्मों की निर्जरा करते हैं, भगवान के समक्ष बैठकर हम अपने आपको जानने की कोशिश करते हैं और स्वयं भगवान बनने का प्रयास करते हैं। इस अवसर पर कुलदीप जैन, सुरेश जैन, मनोज जैन, मुकेश जैन, सुशील जैन, सुनील जैन, भूपेंद्र जैन, दिनेश जैन, दीपक जैन, राकेश जैन, रविंद्र जैन, भूपेश जैन, मेहुल जैन एडवोकेट आदि मौजूद रहे।