Pushpadant Sagar Maharaj : संत आपको दिल में रखे या ना रखे आप संत को दिल में जरूर रखें : पुष्पदंत सागर महाराज 

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Panipat News-Pushpadant Sagar Maharaj
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Aaj Samaj (आज समाज),Pushpadant Sagar Maharaj,पानीपत:
श्री दिगंबर जैन मंदिर जैन मोहल्ला के प्रांगण में गुरुवार को पुष्पगिरी प्रणेता आचार्य 108 पुष्पदंत सागर महाराज ने अपने आशीष वचन देते हुए कहा कि मेरी आदत दर्पण की तरह है जब तक सामने वाला दर्पण के सामने रहेगा तब तक उसकी तस्वीर दर्पण में दिखेगी। उसी प्रकार जब तक आप मेरे समक्ष रहोगे तब तक मेरे पास रहोगे। संत आपको दिल में रखे या ना रखे आप संत को दिल में जरूर रखें। तभी आप का निर्वाण संभव है, तभी आपका पुण्य है। जिसके दिल में संत होते हैं उसके मन से सभी बुराइयां निकल जाती हैं। वह कोई भी गलती करता है तो एक बार जरूर सोचता है कि मेरे गुरु इसके लिए क्या सोचेंगे। वह इस बात के लिए सचेत रहता है कि क्या बुरा है, गलत है।

संकल्प पर दृढ़

उन्होंने अपनी गृहस्थ अवस्था की एक घटना के बारे में बताया कि मैंने संकल्प लिया था कि मैं रात में पानी नहीं पीऊंगा, मगर रात्रि में प्यास जागृत हुई पानी पीने की इच्छा हुई तो सोचा क्यों ना पानी पी लूं। मैंने कौन सा किसी को बता कर नियम लिया था या मुझे कोई देख थोड़ी रहा है अगर पानी पी भी लूंगा तो परंतु जब मैं पानी पीने लगा तो मेरे हाथ से गिलास गिर गया और सामने भगवान महावीर का चित्र देखकर मैंने सोचा “बाप रे बाप महावीर देख रहे है” तब के ही संस्कार है और आज मैं उसी संस्कारों के कारण मुनि बना हूं।

रंग एक नहीं तो ढंग एक कैसा होगा

उन्होंने कहा कि उनके पास एक व्यक्ति पहुंचा उसने कहा क्यों नहीं सब धर्म एक हो जाते ?? मैंने उसको कहा सभी धर्म एक हो जाएं तो कैसे होंगे ? क्या सभी की खोपड़ी मिलकर एक खोपड़ी बन सकती हैं ? क्या सभी का दिमाग एक जैसा होता है ? नहीं सब का ज्ञान, सबका पुण्य, सबका बुद्धि सब अलग-अलग हैं। आप का ज्ञान, दोस्तों का ज्ञान, आपकी मां का ज्ञान, स्कूल का ज्ञान, क्या एक है ? उन्होंने कहा कि मैं एक कर दूं तो क्या सब के विचार एक ही हो जाएंगे, सबके विचार एक से हो जाएंगे तो फिर विभिन्न संस्कृति, विभिन्न क्रियाएं, विभिन्न लोगों का जन्म नहीं हो पाएगा। जिस प्रकार से हम एक रंग के कपड़े नहीं पहनते घर में अगर 10 लोग हैं तो 10 लोग अलग-अलग रंग के कपड़े पहनते हैं तो रंग एक नहीं तो ढंग एक कैसा होगा।

नालायकों अगर सब लोग यही है, तो दुकान पर कौन बैठा है

इसी से जुड़ा एक व्यंग सुनाया उन्होंने कहा कि दादाजी लगभग मरने को तैयार थे तो घर के सभी परिवार के लोग दादाजी के आसपास इक्कठा हुए दादाजी ने दबी आवाज में पूछा राजू यहां है उसने कहा यही हूं। फिर पूछा छोटू यहां है उसने कहा यही हूं। किशन यहां है तो उसने भी कहा यहीं हूं। दादा जी एकदम गुस्से में बोले नालायकों अगर सब लोग यही है, तो दुकान पर कौन बैठा है कहने का अभिप्राय यह है कि लोभी पुरुष मृत्यु के नजदीक होते हुए भी यह सोच रहा है कि मेरी दुकान चल रही है या नहीं। हमें अपनी आत्मा को टटोलना होगा हमें अपने लोभ को कम करना होगा हमें परमात्मा से जुड़ना होगा।

चांदी से निर्मित श्री सिद्धचक्र महामणडल यंत्र की स्थापना होगी

इस अवसर पर क्षुल्लक पर्व सागर एवं क्षुल्लक प्रशांत सागर ने भी सबको आशीर्वाद दिया। जानकारी देते हुए भूपेंद्र जैन ने बताया कि पानीपत जैन समाज के सहयोग से जल्द ही मानव सेवा तीर्थ पुष्पगिरि पर चांदी से निर्मित श्री सिद्धचक्र महामणडल यंत्र की स्थापना होगी। उन्होंने कहा कि पानीपत जैन समाज का सौभाग्य है जो 24 वर्षों बाद गुरूदेव का पावन सानिध्य और आशीर्वाद सभी को मिल रहा है। इस अवसर पर कुलदीप जैन, सुरेश जैन, मुकेश जैन, सुशील जैन, सुनील जैन, दिनेश जैन, टोनी जैन, सुरेश जैन, मेहुल जैन एडवोकेट आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।
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