अहोई अष्टमी के दिन मां ने अपना नौ महीने का लाल

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Panipat News/Mother lost her 9 month old baby on the day of Ahoi Ashtami
Panipat News/Mother lost her 9 month old baby on the day of Ahoi Ashtami
  • बैड से सोते हुए नीचे गिर गया बच्चा
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। शहर में सोमवार को अहोई अष्टमी के दिन जहां माएं अपने बच्चों की दीर्घायु और सलामती के लिए व्रत किए हुए थी, वहीं इस दिन एक मां का 9 माह का बेटा दुनिया से हमेशा के लिए अलविदा हो गया। बच्चे की मौत से मां अपनी सुध बुध खोए हुए है। जानकारी मुताबिक शहर की देसराज कॉलोनी में महिला अपने बेटे को बैड पर लिटा कर रसोई में व्रत के लिए प्रसाद बनाने चली गई। कुछ देर बाद बैड पर सो रहा उसका 9 महीने का बेटा सिर के बल नीचे जा गिर गया। किसी चीज के गिरने की आवाज के बाद महिला कमरे में गई तो बेटा बेसुध पड़ा था। उसकी चीख निकली तो आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। महिला और बेटे को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बच्चे काे मृत घोषित कर दिया।

मां दिन भर निहार रही थी अपने लाल को

रोती-बिलखती मां छाया ने बताया कि वह देसराज कॉलोनी की रहने वाली है। उसकी शादी को करीब 3 साल हो चुके हैं। काफी मन्नतों के बाद उसे बेटा निशांत पैदा हुआ। उसका बेटा नौ माह का था। आज अहोई अष्टमी के दिन उसने अपने बच्चे की लंबी उम्र, सलामती के लिए व्रत रखा था। मां दिन-भर उसे निहार रही थी। शाम करीब 4 बजे बेटा सो रहा था। बेटे को बेड पर लिटाकर वह शाम को अहोई माता की पूजा के लिए तैयारी करने लगी। जिसके चलते वह रसोई में प्रसाद बनाने लगी। उसे रसोई में काम करते हुए अभी करीब 30 ही मिनट हुए थे, इसी बीच उसे धड़ाम की आवाज सुनाई थी। मां ने बताया कि नीचे गिरने के बाद न ही उसके बेटे की आवाज निकली। न ही इसके बाद वह होश में आया।

 

 

Panipat News/Mother lost her 9 month old baby on the day of Ahoi Ashtami
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मिल गया जिंदगी भर का दुख

हादसे के बाद अपने जिगर के टुकड़े को गोद में लेकर अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी। सबसे पहले वह देवी मूर्ति कॉलोनी स्थित बच्चों के एक निजी अस्पताल ले गई। जहां डॉक्टरों को बच्चे में किसी तरह की गुंजाइश नजर नहीं आई, तो उन्होंने सिविल अस्पताल ले जाने के बारे में कहा। मां दौड़ती हुई बच्चे को सिविल अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने करीब आधा घंटे तक बच्चे को सीपीआर दिया। मगर, बच्चे के सांस लौट कर नहीं आए। जब यहां के डॉक्टरों ने भी परिजनों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो मां अपने बच्चे को गोद में उठाकर फिर से वहां से तीसरे अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी। वहां से चौथे अस्पताल ले गई। मगर, हर जगह से मां को जिंदगी भर के लिए दुखभरी खबर ही मिली।

मेरे बच्चे की सांसे लौटा दो

सिविल अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में बच्चे का इलाज माइनर ओटी में चला। जहां मां बार-बार ओटी के अंदर जा रही थी। डॉक्टर बार-बार उसे बाहर भेज रहे थे। जब आधा घंटे बाद इलाज कर रही महिला डॉक्टर बाहर आई, तो वह डॉक्टर से बच्चे का हाल पूछने लगी। डॉक्टर की चुप्पी देखकर मां अपना आपा खो बैठी। महिला डॉक्टर के गले लग कर खूब रोई। डॉक्टरों ने भी उसे लगे से लगाए रखा। रोती-बिलखती मां सिर्फ एक बात कहती रही कि एक बार मेरे बच्चे के सांस वापस ला दो।
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