आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में एनएसएस के सात दिवसीय शिविर के समापन

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Panipat News/Completion of seven day NSS camp at Arya Senior Secondary School
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आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में एनएसएस के सात दिवसीय शिविर के समापन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का शुभारंभ हवन यज्ञ से प्रारंभ हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्रबन्धक समिति के प्रधान कुलदीप देशवाल रहे तथा विशिष्ठ अतिथि विद्यालय प्रबन्धक रामपाल जागलान, प्रबन्धक समिति के सदस्य मेहर सिंह रहे। समारोह की अध्यक्षता एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी दिनेश कुमार ने की। सभी मुख्य अतिथियों व प्राचार्य ने इस सात दिवसीय विशेष शिविर में भाग लेने वाले स्वयं सेवकों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया।

आर्य समाज हिंदू धर्म का एक सुधारवादी आंदोलन 

मुुख्य अतिथि कुलदीप देशवाल ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि आर्य समाज हिंदू धर्म का एक सुधारवादी आंदोलन हैं। आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य प्राचीन वैदिक धर्म की शिक्षा को समाज में प्रचारित करना तथा प्राचीन वैदिक धर्म की शुद्ध रूप से पुनः स्थापना करना था। स्वामी दयानंद जी ने अपने विचारों और चिंतन का प्रकाशन उनकी प्रसिद्ध पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में किया गया है। आर्य समाज ने हिंदू धर्म में आत्मसम्मान एवं आत्मविश्वास की भावना को जागृत किया। आर्य समाज ने ही हिंदू धर्म को पाश्चात्य जगत की श्रेष्ठता के भ्रम से मुक्त कराया था।

समाज सेवा एक पुण्य कार्य 

आर्य समाज के प्रयासों के कारण ही इस्लामी एवं ईसाई मिशनरियों कि हिंदू धर्म विरोधी गतिविधि सफल नहीं हो सकी। इस तरह हिंदू धर्म अक्षुण बना। सत्यार्थ प्रकाश में हिंदू धर्म की अनेक कुरीतियों और कर्मकांडो पर प्रकाश डाला गया है तथा अन्य धर्मों के पाखंडो की भी निंदा की गई है। विशिष्ठ अतिथि प्रबन्धक रामपाल जागलान ने कहा कि समाज सेवा एक पुण्य कार्य है, इसके कारण लोग अमर हो जाते है तथा उन्हें सदियों तक याद भी किया जाता है। बड़ी से बड़ी सामाजिक बुराई को समाज सेवा रूपी हथियार की मदद से दूर किया जा सकता हैं।

परोपकारी गुण गायब हो गया तो यह संसार पशुवत हो जाएगा

गोस्वामी तुलसीदास ने बहुत ही सुंदर पंक्ति लिखी हैं, परहित सरिस धर्म नहीं भाईए अर्थात दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं हैं। हमें प्रकृति से परोपकार के गुणों को सीखकर अपनाना चाहिए। प्रकृति हमें प्रकाशए ऊष्माए जीवन सब कुछ निस्वार्थ ही देती हैं। पेड़ पौधे भी अपना जीवन प्राणियों को समर्पित कर देते हैं। यदि इंसान के दिल से परोपकारी गुण गायब हो गया तो यह संसार पशुवत हो जाएगा। जहां चार पैरों के जानवर और मनुष्य में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। किसी समाज अथवा राष्ट्र की उन्नति व प्रगति के लिए सभी लोगों का खुशहाल होना जरुरी हैं।

बुराइयों को खत्म करने का सराहनीय कार्य किया

विशिष्ठ अतिथि मेहर सिंह ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती प्रखर बुद्धि के राष्ट्रवादी सुधारक थे। उन्होंने भारतीय समाज मे प्रचलित बाल विवाह, पर्दा प्रथा, बहुविवाह, जाति प्रथा, अस्पृश्यता आदि बुराइयों को खत्म करने का सराहनीय कार्य किया। वे समाज की बुराइयों के कटू आलोचक थे। स्वामीजी ने स्त्री शिक्षाए विधवा विवाह तथा अंतर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहित कर स्त्री समाज के उन्नयन का कार्य किया। उन्होंने विधवाश्रम तथा अनाथालयों की स्थापना की एवं समाज मे प्रचलित जादू- टोना एवं अंधविश्वासों को जड़मूल से समाप्त करने का अथक प्रयत्न किया।
स्वयं सेवकों ने जो भी सीखा उसे अपने दैनिक जीवन में उतारना चाहिए
प्राचार्य मनीष घनघस ने सभी अतिथियों का विद्यालय में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया और कहा कि इस विशेष शिविर में स्वयं सेवकों ने जो भी सीखा है, उसे अपने दैनिक जीवन में उतारना चाहिए। तभी इस शिविर में आने का लक्ष्य पूर्ण होता है। इस अवसर पर प्रवीण वर्मा, कुशाल सहगल, संजय, गौरव, सोनू वर्मा, अहमद, संदीप उपस्थित रहे।
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