Oxygen crisis and Tsunami of havoc wreaking havoc: आॅक्सीजन संकट और कहर बरपाती कोरोना की सुनामी

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लांसेट जर्नल में भारत को लेकर प्रकाशित हुए हालिया अध्ययन में दावा किया गया था कि जल्द ही देश में प्रतिदिन औसतन 1750 लोगों की मौत हो सकती है, जो तेजी से बढ़ते हुए जून के पहले सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक पहुंच सकती है लेकिन कोरोना वायरस के दोहरे म्यूटेशन के कारण भारत में संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि मौतों का आंकड़ा नित नए रिकॉर्ड बना रहा है और दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अब सुनामी का दर्जा दिया है।
अध्ययन में जहां जून के शुरूआती सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक मौतें होने का अनुमान जताया गया था, वहीं 24 अप्रैल की सुबह तक 24 घंटे में ही 2624 मौतें दर्ज की गई। देश के लगभग सभी राज्यों में कोरोना की नई लहर कहर बरपा रही है और अब आॅक्सीजन की कमी का भयावह संकट समस्या को और विकराल बना रहा है।
कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति कितनी विकराल होती जा रही है, यह समझने के लिए इतना जान लेना पर्याप्त है कि भारत में जहां 1 मार्च 2021 को कोरोना मरीजों के कुल 12286 नए मामले सामने आए थे, वहीं करीब पौने दो माह के अंतराल बाद कोरोना की दूसरी लहर प्रतिदिन नए रिकॉर्ड बना रही है। अब हर 24 घंटे में कोरोना मरीजों की संख्या में करीब साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा की वृद्धि हो रही है और ढ़ाई हजार से भी ज्यादा लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। कोरोना से ठीक होने वालों की दर घटकर भी काफी नीचे आ गई है।
कोरोना की दूसरी लहर में भारत में अब कोरोना वायरस के अलग-अलग तरह के लक्षण सामने आ रहे हैं, जो पिछली लहर से कुछ अलग हैं। देश में डबल म्यूटेंट कोरोना वायरस के फैलाव को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ बेहद चिंितत हैं क्योंकि वे इसे पिछली लहर के मुकाबले ज्यादा खतरनाक और संक्रामक मान रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना के कई अनजान लक्षण भी सामने आ रहे हैं और अधिकांश मामले हल्के अथवा बगैर लक्षणों वाले हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना का नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक है, जो लोगों के शरीर पर अलग-अलग तरीके से हमला कर रहा है। यह फेफड़ों और श्वसन तंत्र में आसानी से फैल रहा है, जिसके कारण संक्रमित होने के बाद कुछ लोगों को निमोनिया हो रहा है, जो कोरोना संक्रमण को ज्यादा खतरनाक बना रहा है। जो लोग कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित पाए जा रहे हैं, उनमें वायरल लोड काफी ज्यादा पाया जा रहा है और ज्यादा वायरल लोड बहुत अधिक संक्रामक हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि वायरल लोड रक्त में मौजूद कोरोना वायरस के बारे में बताता है और जांच के दौरान इसी वायरल लोड के जरिये पता लगाया जाता है कि शरीर में संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है। दुनियाभर के तमाम विशेषज्ञों का एक ही मत है कि कोरोना वायरस के नए रूप ज्यादा संक्रामक और खतरनाक हैं। भारत में कोरोना की दूसरी लहर इतने खतरनाक रूप में सामने आ रही है कि हर कहीं लाशों के ढ़ेर नजर आने लगे हैं, अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं हैं, आॅक्सीजन की जबरदस्त कमी से मरीजों की जान जा रही हैं, देशभर में वेंटिलेटर का अभाव साफ दिखाई दे रहा है।
भारत में कोरोना के मामलों के रोजाना एक लाख से बढ़कर दो लाख होने में जहां मात्र 10 दिन का समय लगा, वहीं पिछले साल अमेरिका में संक्रमितों के मामले प्रतिदिन एक लाख से दो लाख पहुंचने में 21 दिन लगे थे। कोरोना वायरस के लगातार सामने आते नए रूप, मयूटेंट्स, स्ट्रेंस और आॅक्सीजन की कमी के संकट के चलते स्थिति निरन्तर विस्फोटक हो रही है। दोहरे म्यूटेशन वाले वायरस की मौजूदगी की पुष्टि अब तक 11 देशों में हो चुकी है, जिसका सबसे पहला मामला ब्रिटेन में सामने आया था। दोहरे म्यूटेशन वाला कोरोना बी.1.617 सबसे पहले महाराष्ट्र में मिला था और ग्लोबल म्यूटेशन ट्रैकर द्वारा अब देश में इसकी 10 फीसदी मौजूदगी का अनुमान लगाया गया है। दूसरी ओर स्क्रिप्स रिसर्च द्वारा दावा किया गया है कि देश में मिले कोरोना के सभी रूपों में बी.1.617 सबसे आम है।
केन्द्र सरकार द्वारा 13614 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में मिले नतीजों के आधार पर दी गई जानकारियों के मुताबिक देश में कोरोना के तीन नए स्वरूप भी अब कहर बरपाने लगे हैं। इस जीनोम सीक्वेंसिंग में कुल 1189 (करीब 8.77 प्रतिशत) मामलों में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले वायरस के बेहद घातक स्वरूप को संक्रमण के लिए जिम्मेदार पाया गया है।

योगेश कुमार गोयल
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)

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