नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों को अमली जामा पहनाया इसे संसद से पास भी कराया। सरकार द्वारा बनाए गए इन नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली केबॉर्डर पर किसानों ने आंदोलन शुरू किया। किसान इस कानून को रद्द करने की जिद पर अड़े हैं। वह चाहते हैंकि सरकार इस कानून को रद्द करे। हालांकि सरकार की ओर से इस कानून में हर तरह के संशोधन के लिए बातचीत का रास्ता रखा गया था। सरकार और किसानों की कई दौर की वार्ता भी हुई लेकिन वह बातचीत बेनतीजा ही निकली। जिसकेबीच किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा देखने को मिली थी और लाल किले की भी घटना हुई। सड़क पर चल रही इस कानून की बहस अब संसद में भी पहुंच गई। बजट सत्र में भी किसानों के आंदोलन पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया और किसान नेताओं से बातचीत की अपील की, उन्होंनेकहा कि अपना आंदोलन खत्म करेंसरकार के साथ बातचीत के रास्ते अभी भी खुले हुए हैं। विपक्षी सांसदों ने भी लोकसभा और राज्यसभा में कृषि बिलों और किसान आंदोलन को लेकर अपने-अपने पक्ष रखे। आज सदन की चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यहां एक भी सांसद कृषि कानूनों से किसानों को नुकसान कैसे होगा यह नहीं बता पाया है। उन्होंने कहा कि किसानों से अनुरोध है कि इनकी बातों से भ्रमित न हों। किसानों को समझने की जरूरत है कि जब कहा गया था कि उनका मंच राजनीतिक दलों के लिए नहीं है तो यह बदलाव कैसे आया। संसद में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि लोग तीनों कानूनों को काला कहते हैं, लेकिन अभी तक यह बात नहीं बता पाए हैं कि इनमें काला क्या है। उन्होंने कहा कि लगभग हर बैठक में किसान नेताओं से कृषि बिलों की गड़बड़ी के बारे में पूछा गया, लेकिन वे बस तीनों कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े रहे।
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