नए मंत्री, नया विभाग, चुनौती पुरानी, मोदी सरकार के मंत्रियों का प्लान क्या है?

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी 43 की नई टीम बना ली है। बुधवार को हुई कैबिनेट के फेरबदल के बाद ज्यादातर मंत्रियों ने अपना पदभार भी संभाल लिया। लेकिन जिस मुश्किल वक्त में मंत्रियों को भाजपा नेतृत्व ने एक भरोसे के साथ जिम्मेदारी सौंपी है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कोरोनाकाल में नए मंत्रियों के सामने चुनौती तो वही पुरानी और बड़ी है, जो उनसे पहले के मंत्रियों के सामने थी।
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प्रधानमंत्री ने जिस नई टीम का गठन किया है उसमें चुनावी समीकरण के साथ-साथ मंत्रियों के शिक्षा, पेशेवर गुण, अनुभव और संगठन के प्रति निष्ठा को भी ध्यान में रखा है। अब इन मंत्रियों को बेहतर प्रदर्शन करने की एक बड़ी परीक्षा से गुजरना है क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर मारामारी, बेरोजगारी, पलायन और अर्थव्यवस्था के कमजोर पड़ने को लेकर सरकार की छवि, नीयत और प्रतिबद्धता पर कई सवाल खड़े हुए और आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यही कैबिनेट फेरबदल की एक बड़ी वजह मानी जा रही है।
माना जा रहा है कि कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह का स्वास्थ्य संकट पैदा हुआ और कई स्तर पर अव्यवस्था और गड़बड़ी देखी गई, सोशल मीडिया कंपनियों के साथ सरकार की तकरार हुई, उसका खामियाजा स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और रसायन और उर्वरक मंत्री रहे सदानंद गौड़ा समेत 12 मंत्रियों को उठाना पड़ा और उनकी मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई। गौतरलब है कि करीब डेढ़ साल में भारत में कोरोना की दो लहर आ चुकी है और दूसरे लहर में लोगों ने अभूतपूर्व संकट का सामना किया। ऐसे में अब इसकी भरपाई इन नए मंत्रियों को अपने कामकाज और प्रदर्शन से ही करना है जिससे आने वाले चुनावों से पहले जनता में बेहतर प्रबंधन और चाक-चौबंद काम-काज होने का संदेश जाए। साथ ही कोरोना महामारी के कारण जो भी कठिनाईयां आई उसे ठीक किया जा सके। हालांकि इन मंत्रियों को अभी कोरोना की तीसरी लहर से भी निपटना है।
आइए समझते हैं कि इन नए मंत्रियों को अभी किन समस्याओं से निबटना है और इससे पार पाने के लिए उनके पास क्या योजनाएं है?

मनसुख मांडविया नए स्वास्थ्य मंत्री

कोरोना महामारी की दूसरी लहर और तीसरी लहर जल्दी ही आने की आशंका के बीच मनसुख मांडविया नए स्वास्थ्य मंत्री बने हैं। वे पहले राज्य मंत्री थे और अब उन्हें तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। पर इसके साथ ही उन्हें देश को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने और टीकाकरण को तेज करने की जिम्मेदारी आ गई है। मांडविया भी समझ रहे हैं कि उन्हें किस तेजी से प्रधानमंत्री की उम्मीदों पर खरा उतरना है इसलिए उन्होंने पदभार संभालते ही अपना कामकाज शुरू कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक मांडविया ने सबसे पहले टीकाकरण से जुड़ी जानकारी अपने अधिकारियों से मांगी है।

नए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर

नए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह है कि कोरोना काल में सरकार की छवि को जो नुकसान पहुंचा है उसे सुधारने के लिए उन्हें कई कदम उठाने पड़ेंगे। नए सूचना और प्रसारण मंत्री ने भी अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए कहा है वे प्रधानमंत्री के विजन के मुताबिक काम करेंगे। ठाकुर ने अपनी योजना साफ करते हुए कहा कि वे अपने मंत्रालय के माध्यम से जनता तक पहुंचने पर सबसे ज्यादा ध्यान देंगे। यानी सरकार की उपलब्धियों और उसके कामकाज की सकारात्मक रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी अब अनुराग ठाकुर पर है।

पेट्रोलियम मंत्री बनाए गए हरदीप सिंह पुरी

धर्मेंद्र प्रधान की जगह नए पेट्रोलियम मंत्री बनाए गए हरदीप सिंह पुरी को भी नया विभाग तब मिला है जब पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही है। कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 का आंकड़ा पार कर गई है। घरेलू बाजार में पेट्रोल की कीमत बढ़कर 100.56 रुपये प्रति लीटर हो गई है। देश को नया पेट्रोलियम मंत्री मिलने के साथ ही आज लगातार दूसरे दिन भी लोगों को पेट्रोल-डीजल महंगा मिला। कांग्रेस लगातार इसे मुद्दा बनाए हुए है और लोग अक्सर सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा करते रहते हैं। ऐसे में पुरी के सामने पेट्रोल-डीजल की कीमत पर लगाम कसने की चुनौती है। पुरी ने पदभार संभालने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री ने उन पर जो भरोसा दिखाया है वे उस पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे।

धर्मेंद्र प्रधान के सामने यह चुनौती

कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई और परीक्षाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों का बच्चों का इंतजार है। जेईई सहित कई महत्वपूर्ण परीक्षाएं अभी होनी है। साथ ही कोरोना की तीसरी आहट की आशंका के बीच अगले साल के लिए भी परीक्षाओं की तैयारी करनी है। ऐसे में अब तक पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्रालय संभाल रहे धर्मेंद्र प्रधान के सामने यह चुनौती होगी कि वे किस तरह बच्चों के भविष्य को संवारने में अपनी भूमिका निभाएंगे और कितनी जल्दी बच्चों को स्कूल बुलाने में सफलता हासिल करते रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज धर्मेंद्र प्रधान को बुलाकर अपनी प्राथमिकताएं गिना दी है और प्रधान पर सामने इसे जल्द पूरा करने का दबाव है।
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