More than 1000 scientists, scholars petition against Citizenship Amendment Bill: नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ 1000 से अधिक वैज्ञानिकों, विद्वानों की याचिका

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 एजेंसी,नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को आधी रात में नागरिकता संशोधन बिल पास किया गया। आज इस बिल को राज्यसभा के पटल पर रखा गया है। राज्यसभा में इस पर गर्मागर्म बहस हो रही है। वहीं दूसरी ओर इस बिल का कई स्थानों पर कल से ज्यादा आज विरोध हो रहा है। असम में विरोध प्रदर्शन उग्र हुआ है। असम में आगजनी की घटनाएं सुबह से ही हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर नागरिकता संशोधन विधेयक के वर्तमान स्वरूप को वापस लेने की मांग को लेकर एक हजार से अधिक वैज्ञानिकों और विद्वानों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। जानेमाने शिक्षाविद् प्रताप भानु मेहता ने कहा है कि इस कानून से भारत एक असंवैधानिक नस्लीतंत्र में बदल जाएगा। गौरतलब है कि इस बिल पर सोमवार को बारह घंटे तक लगातार चर्चा हुई और रात के बारह बजे ाबद इस बिल को लोकसभा से पारित कर दिया गया था। नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। याचिका में कहा गया है, ”चिंताशील नागरिकों के नाते हम अपने स्तर पर वक्तव्य जारी कर रहे हैं ताकि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को सदन पटल पर रखे जाने की खबरों के प्रति अपनी निराशा जाहिर कर सकें। याचिका में कहा गया,” विधेयक के वर्तमान स्वरूप में वास्तव में क्या है यह तो हमें पता नहीं है इसलिए हमारा वक्तव्य मीडिया में आई खबरों और लोकसभा में जनवरी 2019 में पारित विधेयक के पूर्व स्वरूप पर आधारित है। याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े विद्वान शामिल हैं।

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