Modi government’s PM Kisan Yojana and self-reliant India: मोदी सरकार की पीएम किसान योजना और आत्मनिर्भर भारत

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डीएपी खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से, 140% बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति बैग, करने का ऐतिहासिक निर्णय,मोदी सरकार ने 19 मई 2021 को लिया।
इस प्रकार, डीएपी की अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों में वृद्धि के बावजूद, इसे 1200 रुपये के पुराने मूल्य पर ही बेचे जाने का निर्णय लिया गया है, साथ ही मूल्य वृद्धि का सारा अतिभार केंद्र सरकार ने उठाने का फैसला भी किया है।गौरतलब है कि प्रति बोरी सब्सिडी की राशि कभी भी एक बार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है। पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपये प्रति बोरी थी। जिसमें केंद्र सरकार 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी। इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं। हाल ही में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60% से 70% तक बढ़ गई हैं।इसी कारणवश, एक डीएपी बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपये हो गई थी, जिसे खाद कंपनियों द्वारा 500 रुपये की सब्सिडी घटा कर 1900 रुपये में बेचा जाता था। पर प्रधान मंत्री केनारेंद्र मोदी के अत उत्तम और उत्कृष्ट फैसले से,किसानों को अब 1200 रुपये में ही डीएपी का बैग मिलता रहेगा,जिस से किसानों को कोरोना महामारी के दौरान बेहद राहत मिलेगी। इस से साफ जाहिर है की मोदी सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी कि किसानों को मूल्य वृद्धि का दुष्प्रभाव न भुगतना पड़े। केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी पर करीब 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है।ऊअढ में सब्सिडी बढ़ाने के साथ ही खरीफ सीजन में भारत सरकार 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी।
अक्षय तृतीया के दिन, अभी हाल ही में, पीएम किसान के तहत किसानों के खाते में 20,667 करोड़ रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर करने के बाद, किसानों के हित में यह मोदी सरकार द्वारा दूसरा बड़ा फैसला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि की आठवीं किश्त के तहत 14 मई 2021 को 9.5 करोड़ किसानों के खाते में 20,667 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान किया।
इस योजना के अंतर्गत, कुछ अपवादों को छोड़कर, जोत वाले किसान परिवारों की आय में 6 हजार रुपये की सालाना सहायता प्रदान की जाती है। पीएम-किसान योजना की आठवीं किश्त का भुगतान करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ किसानों के साथ वर्चुअल माध्यम से बात चीत भी की। किसानों से बात करने के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय में हम ये संवाद कर रहे हैं। इस कोरोना काल में भी देश के किसानों ने हमारे कृषि क्षेत्र में अपने दायित्व को निभाते हुए अन्न की रिकॉर्ड पैदावार की है।बंगाल के लाखों किसानों को भी पहली किश्त पहुंच गई है। जैसे-जैसे राज्यों से किसानों के नाम केंद्र सरकार को मिलेंगे, वैसे वैसे लाभार्थी किसानों की संख्या और बढ़ती जाएगी।
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए किसानों की भलाई और प्राथमिकता हमेशा से सर्वोपरि रही है। अभी तक इस योजना के तहत देश के लगभग 11 करोड़ किसानों के पास करीब 1 लाख 16 हजार करोड़ रुपए पहुंच चुके हैं। इनमें से सिर्फ कोरोना काल में ही 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंचे हैं। इस वर्ष, अभी तक बीते वर्ष की तुलना में लगभग 10% अधिक गेहूं टरढ पर खरीदा जा चुका है। अभी तक गेहूं की खरीद का लगभग 58,000 करोड़ रुपए सीधे किसानों के खाते में पहुंच चुका है।पंजाब और हरियाणा के लाखों किसान डायरेक्ट ट्रांसफर की इस सुविधा से भी जुड़ गए हैं। अभी तक पंजाब के किसानों के बैंक खातों में करीब 18,000 करोड़ रुपये और हरियाणा के किसानों के बैंक खातों में करीब 9,000 करोड़ रुपये सीधे जमा हो चुके हैं। खेती में नए समाधान, नए विकल्प देने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। जैविक खेती को बढ़ावा देना ऐसे ही पप्रयासों में से एक है। इस प्रकार की फसलों में लागत भी कम है, ये मिट्टी और इंसान के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं और इनकी कीमत भी ज्यादा मिलती है। मोदी सरकार की ये निरंतर कोशिश रही है कि छोटे और सीमांत किसानों को बैंकों से सस्ता और आसान ऋण मिले। इसके लिए बीते कुछ सालों से किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करने का अभियान चलाया जा रहा है।

संजू वर्मा
(लेखिका बीजेपी की राष्टÑीय प्रवक्ता हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)

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