लाखों बच्चों को कागजों में ही मिला मिड-डे मील Millions Children Got Mid-Day Meals On Paper

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आज समाज डिजिटल, चण्डीगढ:
अप्रैल महीने में स्कूल खुलने के बाद बच्चों को दोपहर का भोजन क्यों नहीं मिला, निकाय मंत्री की बैठक से पहले निगमायुक्त ने अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट, आधी-अधूरी मिलने पर लगाई डांट सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के लगभग 16 लाख बच्चों को अप्रैल महीने का मिड-डे मील कागजों में ही मिला। स्कूलों में राशन पहुंचा न पौष्टिक फ्लेवर दूध। कागजों में दोपहर का भोजन पकता रहा, लेकिन बच्चे सूखे राशन तक से महरूम रहे। शिक्षा निदेशालय को इसकी कानोंकान खबर नहीं लगी।

शिक्षा निदेशालय में मचा हड़कंप

Millions Children Got Mid-Day Meals On Paper: मौलिक शिक्षा निदेशक भी यही समझते रहे कि स्कूलों में मिड-डे मील परोसा जा रहा है, जबकि ऐसा हुआ ही नहीं। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसकी पोल खोलकर रख दी है। संघ के खुलासे के बाद मौलिक शिक्षा निदेशालय में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार अंशज सिंह ने मिड-डे मील शाखा से रिपोर्ट मांगी है कि अप्रैल महीने में स्कूल खुलने के बाद बच्चों को दोपहर का भोजन क्यों नहीं मिला। मुख्यालय स्तर से जिलों को राशन की आपूर्ति क्यों नहीं की गई। स्कूल कोरोना के कारण बंद होने पर बच्चों को सूखा राशन ही घर-घर वितरित किया जा रहा था, जबकि कुकिंग लागत सीधे उनके बैंक खाते में डाल दी जाती थी। पिछले साल विभाग ने एक आदेश जारी कर सभी स्कूलों के मिड-डे मील बैंक खातों को बंद करवा दिया गया था।

अब विक्रेता के जरिये होगी राशन की खरीद

Millions Children Got Mid-Day Meals On Paper: निदेशक मौलिक शिक्षा अंशज सिंह ने ताजा आदेश जारी किए हैं। इससे शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है। अब गेहूं, चावल के अलावा अब अन्य सभी प्रकार का राशन, मसाले, मौसमी सब्जियां, खीर के लिए दूध, गैस सिलिंडर आदि की खरीद किसी विक्रेता के जरिये की जाएगी।

विभाग द्वारा स्कूल के खातों में कोई राशि देने के बजाय पीएफएमएस यानि पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सस्टिसे ही सीधे विक्रेता के खाते में डालेगा। स्कूल अपनी तरफ से बीईओ को विक्रेता का सत्यापित विवरण देगा, फिर बीईओ से डीईईओ तक सत्यापित होकर अंत में डीईईओ स्तर पर अपडेट किया जाएगा।

महंगाई बढ़ने पर वर्तमान कुकिंग लागत में खाना बनाना मुश्किल ग्रामीण स्तर पर प्राइमरी स्कूलों में आनलाइन बिल सिरे चढ़ाने में दिक्कत विक्रेता सत्यापित करने के लिए शिक्षकों को कोई तकनीकी ज्ञान नहीं सभी प्रकार के राशन की खरीद एक ही दुकानदार से संभव नहीं राशन खरीद के समय भुगतान एडवांस में करने के लिए बजट नहीं

एजेंसी से काम करवाए विभाग

राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान तरुण सुहाग व महासचिव सुनील बास ने कहा कि मिड-डे मील का काम विभाग को शिक्षकों की बजाय किसी दूसरी एजेंसी से करवाना चाहिए। जिस प्रकार ये कार्य गुरुग्राम व कुरुक्षेत्र में इस्कान को दे दिया गया है। जब तक कोई एजेंसी नियुक्त न हो, तब तक किसी भी परेशानी से बचने के लिए स्कूल को सीधा बजट देने की व्यवस्था ही लागू रखी जाए। स्कूलों में मिड-डे मील के लिए राशन व अन्य सामग्री भेजना सुनिश्चित करें।

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