महेंद्रगढ़ : रियो ओलंपिक की कसर दूर करने के लिए आज टोक्यो ओलंपिक में दमखम दिखाएगा सतनाली का लाल

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Sandeep Poonia

नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :

क्षेत्र के गांव सुरेहती जाखल निवासी ओलंपियन संदीप पूनियां आज गुरूवार को टोक्यो के खेल गांव में 20 किलोमीटर पैदल चाल स्पर्धा में देश के लिए मैदान में उतरेंगे। भारतीय समय अनुसार यह मैच एक बजे और जापान के समय अनुसार यह मैच शाम साढ़े पांच बजे शुरू होगा। सतनाली के होनहार लाडले से जिले ही नहीं बल्कि देशवासियों को बड़ी उम्मीदें है कि संदीप अपनी प्रतिभा के बलबूते अबकी बार ओलंपिक में पदक जरूर जीतकर आएगा। गुरूवार को होने वाली स्पर्धा के लिए ग्रामीणों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है तथा संदीप की ओलंपिक स्पर्धा का सीधा प्रसारण देखने की पूरी तैयारी की जा रही है। वंही संदीप के परिजन भी संदीप की जीत की दुआ के साथ पूजा पाठ कर रहे है। परिजनों को उम्मीद है कि अबकी बार संदीप देश के लिए ओलंपिक पदक जरूर लाएगा। स्मरण रहे कि सतनाली खंड के गांव सुरेहती जाखल निवाड़ी संदीप पूनियां ने विपरीत परिस्थितियों व बेहद गरीब परिवार से होते हुए भी अपने खेल को आगे रखा।

अब वे अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकिंग यानी पैदल चाल में दूसरी बार ओलंपिक में अपना जलवा दिखाएंगे। हालांकि गत रियो ओलंपिक-2016 में भी उन्होंने काफी मेहनत की थी, लेकिन वे देश के लिए कोई मेडल नहीं ला पाए तथा 33वें स्थान पर रहे, मगर इस बार संदीप का कहना है कि वे देश के लिए अवश्य मेडल लाएंगे। गांव सुरहेती जाखल में एक मई 1986 को एक बेहद गरीब परिवार में जन्में संदीप कुमार के पिता बकरी चराने का काम करते थे। आज भी उनके पिता प्रीतम सिंह बकरी चराने व खेतों में मजदूरी का काम ही करते हैं। हालांकि उनके पास पांच एकड़ जमीन भी है, मगर वह ज्यादा उपजाऊ नहीं है। उनके परिवार की यह स्थिति नहीं थी कि वे किसी खेल में अपने दम पर भाग ले सकें, मगर संदीप की रुचि शुरू से ही खेलों की रही है। संदीप की मां ओमपति का करीब 24 साल पहले निधन हो गया था। उस समय संदीप की उम्र महज आठ साल ही थी। जिसके बाद संदीप के पिता ने ही उसको माता व पिता दोनों का प्यार दिया तथा इस मुकाम तक पहुंचाया। संदीप के परिवार में एक बहन ममता व बड़ा भाई सुरेंद्र है। सुरेंद्र अपने पिता प्रीतम सिंह के साथ खेती का कार्य करते हैं। संदीप के भाई के घर में 20-22 बकरियां पाली हुई हैं। संदीप के पिता प्रीतम सिंह ने मां व बाप दोनों की भूमिका बड़ा संघर्ष करके निभाई।
बचपन में लगाता था संदीप दौड़ :
बचपन में पिता के साथ बकरियां चराते समय संदीप दौड़ लगाता रहता था। संदीप ने 50 किलोमीटर वाकिंग में नए रिकार्ड बनाए। उनके सेना में सूबेदार पद पर भर्ती होने के बाद घर के आर्थिक हालात कुछ सुधरे। संदीप ने 2012 में ओलंपिक क्वालीफाई कर लिया था, मगर वे 2012 में किन्हीं कारणों के चलते ओलंपिक नहीं जा पाए। संदीप ने इसके बाद 2016 में रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। संदीप 2014 व 2018 में एशियन खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
अबकी बार है मेडल की तैयारी :
टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों के बारे में संदीप ने बताया कि इस बार वे देश के लिए मेडल लाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। ओलंपिक में तिरंगा फहराने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की है। उन्होंने बताया कि वे करीब नौ माह से अपने परिवार से दूर हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि उनकी मेहनत जरूर रंग लाएगी। संदीप ने बताया कि ओलंपिक में 20 किलोमीटर पैदल चाल को एक घंटा 19 मिनट में पूरा करने का रिकार्ड है। मेरा प्रयास है कि इस दूरी को इस अवधि से भी कम समय मे पूरा कर देश को स्वर्ण पदक दिलाया जाए। देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे।

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