महेंद्रगढ़ : पुस्तकालयों में तकनीकी और सूचना क्रांति को अपनाकर होगा विश्वगुरु बनने का मार्ग प्रशस्त :  प्रो. टंकेश्वर कुमार

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नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :
पुस्तकालय का संबंध केवल किताबों के प्रबंधन की व्यवस्था भर नहीं है, यह वो माध्यम है, जो बदलते दौर में प्रमाणिक ज्ञान का माध्यम है। जिस तरह से सूचना क्रांति के बढ़ते प्रभाव के चलते सही-गलत सूचनाओं की बाढ़ आई है, उसे देखते हुए पुस्तकालय व्यवस्था का महत्व और उससे जुडे़ लोगों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। आमजन को सही पक्षों व ज्ञान के सही रूप से अवगत कराने की दिशा में आज भी पुस्तकालय व पुस्तकें सबसे अधिक प्रमाणिक माध्यम हैं, और हमें इनके आधुनिकीकरण और विकास के लिए आवश्यक प्रयास करने चाहिए। यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित एक माह के समर लाइब्रेरी ट्रेनिंग प्रोग्राम 2021 के समापन के अवसर पर व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित ह्यसस्टैनबल लाइब्रेरी एंड इनफॉर्मेशन साइंस विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में इंटरनेशनल फेडरेशन आफ लाइब्रेरी ऐसोसिएशन एंड इंस्टीट्यूशंस (आईएफएलए) की अध्यक्ष डा. एनटोनिया अराहोवा, विशिष्ट अतिथि के रूप में इन्फ्लिबिनेट सेंटर के निदेशक प्रो. जेपी जुरेल और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. उमा कांजीलाल उपस्थित रहे।


विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने मौजूदा समय में इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव के परिणामस्वरूप सूचना के मोर्चे पर आए बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज न्यू मीडिया का दौर है, और इस समय में आपके आसपास सूचनाएं ही सूचनाएं उपलब्ध हैं, बस सहीं गलत का आंकलन कर पाना मुश्किल है। उन्होंने अपने संबोधन में ज्ञान प्राप्ति के लिए पुस्तकालयों में उपलब्ध सूचनाओं को सर्वाधिक उपयोगी बताया और कहा कि आज भी प्रमाणिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए यह सबसे उपयोगी और भरोसेमंद माध्यम हैं। प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने संबोधन में पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण और उनके डिजीटलाइजेशन की दिशा में जारी प्रयासों को बदलते समय की मांग बताया और कहा कि हमें अब तकनीकी के स्तर पर हो रहे बदलावों को अपनाते हुए आगे बढ़ना होगा तभी विश्वगुरु के रूप में भारत को स्थापित करने के सपने को साकार किया जा सकेगा। कुलपति ने इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया और उनके साथ-साथ एक माह के इस आयोजन में शामिल हुए विशेषज्ञ वक्ताओं का भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अवश्य ही विद्यार्थियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की होगी।
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का एक अंग है एवं किसी पुस्तकालय में लिया जाना होता है, मगर वर्तमान समय मे अधिकांश पुस्तकालय या तो बंद है, या विद्यार्थियों को वहां तक पहुंचने में समस्या है, इसलिए विभाग द्वारा पूर्व वर्ष की भांति ही आॅनलाइन मोड से आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम की सफलता से इस बात पर विचार किया जाएगा कि सामान्य स्थितियों में भी इसी तरह से यह कार्यक्रम कराना बेहतर होगा। क्योंकि देश विदेश से ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों के द्वारा चर्चा का विद्यार्थियों को बहुत अधिक उपयोगी हुई है एवं यह आनलाइन मोड मे ही संभव है। विद्यार्थियों ने आगे बढ़कर भागीदारी ली एवं प्रशिक्षण के दौरान अनेक सूचना प्रोडक्टस प्रस्तुत किए। पूरे कार्यक्रम के आधार पर कॉमिक बुक उमंग, इमेज गॅलरी, और बुलेटिन ज्ञानज्योति एवं कार्यक्रम पर आधारित एक वीडियो का कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुतीकरण किया गया। विश्वविद्यालय कुलपति के संबोधन से पूर्व आयोजन में शामिल मुख्य अतिथि डा. एनटोनिया अराहोवा, विशिष्ट अतिथि प्रो. जेपी जुरेल और प्रो. उमा कांजीलाल ने भी एक माह के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिभागियों को संबोधित किया और इस क्षेत्र में तकनीकी स्तर पर जारी बदलावों की ओर ध्यान आकर्षित किया। विशेषज्ञ ने इस तरह के आयोजन को नित नए-नए बदलावों को जानने समझने में मददगार बताया और कहा कि हमें इन आयोजन से मिलने वाले ज्ञान का उपयोग पुस्तकालय व्यवस्था के आधुनिकीकरण की दिशा में करना होगा। इससे पूर्व में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो. संजीव कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, कार्यक्रम की रूपरेखा प्रो. दिनेश कुमार गुप्ता ने प्रस्तुत की जबकि कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शोध अधिष्ठाता प्रो. नीलम सांगवान ने प्रस्तुत किया। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित इस वेबिनार का सफलतम संचालन शिक्षा विभाग की डा. रेनू यादव ने किया जबकि इस अवसर विश्वविद्यालय के विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्रभारी, अधिकारी, शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी व विभिन्न शिक्षण संस्थानों से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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