Punjab-Haryana High Court News: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कर्मचारी ओपीएस लाभ के हकदार: हाईकोर्ट

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Punjab-Haryana High Court News: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कर्मचारी ओपीएस लाभ के हकदार: हाईकोर्ट
Punjab-Haryana High Court News: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कर्मचारी ओपीएस लाभ के हकदार: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने 28 अक्टूबर, 2005 को या उससे पहले विज्ञापित पदों पर नियुक्त याचिकाकर्ताओं को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने के दिए निर्देश
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कर्मचारी के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 28 अक्टूबर, 2005 को या उससे पहले निकाले गए पदों की भर्ती के विरुद्ध नियुक्त कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कर्मचारी, राज्य सरकार के 8 मई, 2023 के आॅफिस मेमोरेंडम के अनुरूप पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के लाभ के हकदार हैं।

कोर्ट ने कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे 28 अक्टूबर, 2005 को या उससे पहले विज्ञापित पदों पर नियुक्त याचिकाकतार्ओं को 8 मई, 2023 के ओएम का लाभ दें। इसके साथ ही उन्हें अपेक्षित औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाएगा और उसके बाद उनके एनपीएस खाते बंद कर दिए जाएंगे। उन्हें ओपीएस का सदस्य बनाया जाएगा और उन्हें देय लाभ जारी किए जाएंगे।

आठ सप्ताह के भीतर लागू करने के आदेश

पांच याचिकाओं पर दिए गए निर्देशों को आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के आठ सप्ताह के भीतर लागू करने का आदेश दिया गया। न्यायमूर्ति दहिया ने स्पष्ट किया कि कुल लागत में से 4 लाख रुपए हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग और शेष राशि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को देनी होगी।

वेतनमान और पेंशन आदि में सरकार की स्वीकृति के बिना संशोधन नहीं कर सकता विवि

सरकार की दोहरी नीति का हवाला देते हुए जस्टिस दहिया ने कहा कि लिखित बयान में उनका रुख यह था कि विश्वविद्यालय एक स्वायत्त निकाय है और नियुक्तियों के मामले में अन्य बातों के अलावा अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन वह सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना वेतनमान और उसके परिणामस्वरूप पेंशन आदि में संशोधन नहीं कर सकता। यह केवल राज्य सरकार के अपने मनमाने रुख को दर्शाता है और विकृत तर्क का उपयोग करके इसे उचित ठहराने का प्रयास है।

यह था मामला

मई और नवंबर 2006 के बीच लेक्चरर के रूप में नियुक्त याचिकाकर्ताओं को शुरू में ओपीएस में शामिल किया गया और जीपीएफ नंबर आवंटित किए गए। बेंच को बताया गया कि 1 जनवरी 2006 को या उसके बाद सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए नई परिभाषित अंशदायी पेंशन योजना में स्विच करने के राज्य के फैसले के बाद, विश्वविद्यालय ने उनकी सहमति के बिना उन्हें एनपीएस में ट्रांसफर कर दिया गया।

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