सूर्यदेव की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि में वृद्धि होती
Lord Surya Puja, (आज समाज), नई दिल्ली: रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने और उन्हें जल चढ़ाने से सूर्य भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होता है। व्यक्ति पर सूर्य देव कृपा हो तो, व्यक्ति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। कुंडली में सूर्य मजबूत होने पर जीवन में सुख, संपत्ति और यश की प्राप्ति होती है।

सूर्य देव को ग्रहों का राजा भी माना गया है और उनकी कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए हर दिन सुबह स्नान के बाद उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। आइए जानते हैं सूर्य देव की कैसे करनी चाहिए पूजा और उन्हें प्रसन्न करने वाली आरती

पूजा विधि

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  • एक तांबे के लोटे में जल लें। इसमें रोली, लाल फूल, और अक्षत (अखंडित चावल) मिला दें।
  • पूर्व दिशा की ओर मुख करके (जहां सूर्य उदय हो रहे हों) दोनों हाथ ऊपर करके लोटे से सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • जल चढ़ाते समय ॐ घृणि सूर्याय नम: या ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
  • जल की धारा की ओर देखते रहें और हाथ जोड़कर भगवान भास्कर का ध्यान करें।
  • पूजा के बाद दीपक जलाकर सूर्य देव की आरती करें।
  • हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सूर्य देव से प्रार्थना करें।
  • सूर्य देव की पूजा में तांबे की थाली और लोटे का उपयोग शुभ माना जाता है।

इस तरह अर्पित करें जल

अर्घ देते समय नजरे लोटे की जलधारा की ओर रखें। जल इस प्रकार अर्पित करें कि जल की धार में सूर्य का प्रतिबिंब एक बिंदु के रूप में दिखाई दे। इसके बाद हाथ जोड़कर सूर्य देव को प्रणाम करें।

इन नियमों का भी करें पालन

  • रविवार को नमक, तेल, मांस और मदिरा का सेवन न करें।
  • पूजा के बाद, जो जल जमीन पर गिरता है, उसे अपने मस्तक पर लगा सकते हैं, ऐसा माना जाता है कि इससे सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।

सूर्यदेव की पूजा करने से कारोबार में प्राप्त होती है सफलता

सूर्योदय के समय सूर्य देव का दर्शन करने से व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए। ऐसा करने से कारोबार में सफलता प्राप्त होती है। सूर्य को जल चढ़ाने के साथ मंत्र का जाप करने से बल, बुद्धि और विद्या प्राप्त होगी।

सूर्य देव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत हैं सबही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलावे उजियारा तब जागे जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
संध्या में अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। देवे नव जीवन।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन देते बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

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