पीएम ने संतुलन तो साधा पर यूपी और उत्तराखंड में रह गई कमी

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अजीत मैंदोला । नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपनी टीम में बड़ा बदलाव कर चुनाव वाले राज्यों को तो महत्व दिया ही साथ ही संदेश देने की कोशिश की कि पिछड़ों पर सरकार का विशेष ध्यान है। खास तौर पर ओबीसी और एससी पर। लेकिन इस सोशल इंजीनियरिंग में यूपी और उत्तराखंड में कुछ कमी रह गई।यूपी से पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय को साधने के लिए कुछ नहीं किया गया।जबकि किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नेता यहीं से आते हैं।इसी तरह उत्तराखंड में गढ़वाल मंडल की पूरी तरह से अनदेखी कर दी गई। जबकि सबसे ज्यादा सीट इसी क्षेत्र से आती हैं। कुमाऊं मंडल से ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आते हैं तो केंद्र में बनाये नए मंत्री अजय भट्ट भी कुमाऊं से ही हैं।

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अजय भट्ट ने बाजी मार ली

समझा जा रहा था कि रमेश पोखरियाल निशंक के हटाए जाने पर गढ़वाल मंडल से तीरथ सिंह रावत या अनिल बलूनी का नम्बर आ सकता है। लेकिन अजय भट्ट ने बाजी मार ली। इससे उत्तराखंड में असंतुलन हो गया। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी मैदानी क्षेत्र से हैं। 70 विधानसभा सीट में से 41 गढ़वाल से आती हैं। 7 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। गढ़वाल से अब मोदी सरकार में अजित डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद पर हैं। उत्तराखंड से लगे राज्य उत्तर प्रदेश से मोदी कैबिनेट में सबसे ज्यादा 7 नए चेहरों को मौका दिया गया। इनमें एक को छोड़ बाकी सभी पूर्वी उत्तर प्रदेश से हैं।

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पिछड़ी जातियों को वह साधने की कोशिश

जानकारों का मानना है कि बीजेपी यूपी में 2017 वाली रणनीति पर काम करने जा रही है। यादवों को छोड़ बाकी पिछड़ी जातियों को वह साधने की कोशिश करेगी। इसलिये सरकार ने मंत्रिमंडल के फेरबदल होने से पहले ही मीडिया में सोशल इंजीनियरिंग का जोरदार प्रचार करवाया। यूपी को लेकर ही पूरा संदेश था कि वह पिछड़ी जातियों का कितना ध्यान रख रही है। हालांकि ब्राह्मणों को साधने के लिए अजय मिश्रा नए चेहरे को मौका दिया है। बीजेपी जानती है कि यूपी में अगड़ी जातियों उनसे नही टूटेंगी इसलिए ज्यादा फोकस पिछड़ी जातियों को साधने पर है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय को साधने के किया कुछ नहीं किया

यादवों को मैसेज देने के लिए राजस्थान के ओर गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र यादव संगठन से सरकार में लाया गया है। लेकिन पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय को साधने के किया कुछ नहीं किया गया। सरकार का यह फैसला हैरानी करने वाला रहा। आने वाले दिनों में देखना होगा कि बीजेपी किसान नेताओं को साधने के लिए क्या करती है।

पहली बड़ी परीक्षा अगले साल सात राज्यों के चुनाव में होगी

हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने हर राज्य से किसी ना किसी को मंत्रिमंडल में जगह देने की कोशिश की। राजस्थान से भपेंद्र यादव को जगह दी गई। लेकिन वही उड़ीसा के कोटे से मंत्री बनाए गए अश्विन वैष्णव का रिश्ता भी राजस्थान के जोधपुर से ही है। मोदी ने हर वर्ग को जगह दे संतुलित मंत्रिमंडल बनाने की कोशिश की है। यूपी के बाद गुजरात से पांच जनों को मौका मिला है। अगले साल यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और गुजरात में चुनाव होने हैं। सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा बीजेपी यूपी और उत्तराखंड में लगी है। यूपी के बाद गुजरात का चुनाव होना है। आज जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने नये चेहरों को मौका दे कई दिग्गजों की छुट्टी की उससे साफ है मोदी काम किसी प्रकार की कोताही सहन नही करेंगे। इस मंत्रिमंडल की पहली बड़ी परीक्षा अगले साल होने वाले सात राज्यों के चुनाव में होगी।

बुधवार को इन्हें केन्द्र में मंत्री बनाया गया

कैबिनेट मंत्री 
1-नारायण राणे
2-सर्वानंद सोनोवाल
3-डॉ विरेंद्र कुमार
4-ज्योतिरादित्य सिंधिया
5-राम चंद्र प्रताप (आरसीपी) सिंह
6-अश्विनी वैष्णव
7-पशुपति कुमार पारस
8-किरेन रिजिजू
9-राज कुमार सिंह
10-हरदीप सिंह पुरी
11-मनसुख मांडविया
12-भूपेंद्र यादव
13-पुरुषोत्तम रुपाला
14-जी किशन रेड्डी
15-अनुराग सिंह ठाकुर
राज्य मंत्री 
16-पंकज चौधरी
17-अनुप्रिया सिंह पटेल
18-डॉ एसपी सिंह बघैल
19-राजीव चंद्रशेखर
20-शोभा करांदलाजे
21-भानू प्रताप सिंह वर्मा
22-दर्शना विक्रम जर्दोश
23-मीनाक्षी लेखी
24-अन्नपूर्णा देवी
25-ए. नारायणस्वामी
26-कौशल किशोर
27-अजय भट्ट
28-बी एल वर्मा
29-अजय कुमार
30-देवुसिंह चौहान
31-भगवंत खुबा
32-कपिल मोरेश्वर पाटिल
33-प्रतिमा भौमिक
34-डॉ सुभाष सरकार
35-भागवत किशन राव कराड
36-डॉ राजकुमार रंजन सिंह
37-भारती प्रवीण पवार
38-विशेश्वर टुडु
39-शांतनु ठाकुर
40-डॉ मुंजापारा महेंद्र भाई
41-जॉन बार्ला
42-डॉ एल मुरुगन
43-निशिथ प्रमाणिक
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