हिमाचल में केजरीवाल के सामने पहाड़, यहां क्या रहेगा असर Kejriwal in Himachal

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आज समाज डिजिटल, शिमला:
Kejriwal in Himachal : हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव इस वर्ष के अंत में होंगे। यहां सिसायी माहौल गर्माने लगा है। जहां भाजपा और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं वहीं, आम आदमी पार्टी भी हिमाचल के पहाड़ चढ़ने की सोच रही है। यहां आप ने गांव-गांव में दस्तक देनी शुरू कर दी है। पार्टी नए वर्कर और नेता अपने साथ जोड़ रही है। इसका असर बहरहाल कुछ भी हो, लेकिन इसने भाजपाइयों और कांग्रेसी नेताओं की धड़कनें तो बढ़ा ही दी हैं।

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हिमाचल का अब तक का रिकार्ड

पहाड़ी राज्य आम आदमी पार्टी के लिए अपना असर दिखाना किसी पहाड़ सी चुनौती के बराबर है। आप के सामने सबसे बड़ी चुनौती है संगठनात्मक ढांचा तैयार करना। दूसरी अहम बात है कि सूबे में तीसरे विकल्प को बीते कई चुनाव हिमाचल के लोग नकार चुके हैं। केवल 1998 में पंडित सुखराम की पार्टी हिविकां ने विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीती थी और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई।

आप के लिए हिमाचल इसलिए है पहाड़

हिमाचल में साल 2019 में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को चारों सीट पर चुनाव लड़ा था और मात्र 2।06 फीसदी वोट मिले थे। पिछले साल सोलन नगर निगम चुनाव में भी अअढ ने सभी वार्डों से प्रत्याशी उतारे थे। यहां भी आप को 2 फीसदी से कम वोट मिल थे। हालांकि, अब हालात बदले हैं और पंजाब के सियासत का हिमाचल में असर जरूर पड़ेगा।

कांग्रेस को झेलना पड़ेगा ज्यादा नुकसान

आप ने घोषणा की है कि वह हिमाचल विधानसभा चुनाव में सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यदि यह हुआ तो कांग्रेस-भाजपा दोनों दलों को नुकसान होगा। खासकर कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होगा। हिमाचल में हर पांच साल बाद सरकार बदलती है। अभी भाजपा सरकार है। यहां पर चुनाव में वोट बैंक अगर आप की तरफ जाता है तो कांग्रेस को नुकसान होगा और वोट शेयरिंग के चलते कई सीटों पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।

वहीं पिछले दो सप्ताह में आप में बड़ी संख्या में नेता और वर्कर शामिल हुए हैं। इनमें अधिकांश कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मनीष, ऊना से जिला परिषद सदस्य, मंडी से भी जिला परिषद के सदस्य सहित कई नाम हैं, जो आप में शामिल हुए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भी आप में कई लोग शामिल होंगे। हिमाचल प्रदेश में 6 अप्रैल को मंडी में आम आदमी पार्टी की रैली है। इसमें अरविंद केजरीवाल, के अलावा, पंजाब के सीएम भगवंत मान आ रहे हैं।

हिमाचल में तीसरे विकल्प का अस्तित्व

हिमाचल प्रदेश की राजनीति की बात करें तो यहां तीसरा विकल्प अधिक टिकता हुआ नजर नहीं आया। कांग्रेस से मुखर होकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस के नाम से पार्टी बनाई। पांच विधायकों के साथ उन्होंने 1998 में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई और पांच साल तक यह सरकार चली भी, लेकिन 2003 के चुनावों में सिर्फ पंडित सुखराम ही जीत पाए और बाकी सभी विधायक हार गए।

2007 में उन्होंने फिर से अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया। इसके बाद 2012 के चुनावों में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने हिमाचल लोकहित पार्टी का गठन किया। पूरे प्रदेश में सिर्फ महेश्वर सिंह ही जीत पाए। 2017 तक उनकी पार्टी का भी अस्तित्व समाप्त हो गया और उन्होंने फिर से भाजपा ज्वाइन कर ली। इसके अलावा बसपा, सपा, टीएमसी, एनसीपी और अन्य कई प्रकार की पार्टियां यहां चुनावों के समय आती रहती हैं, लेकिन कभी जीत नहीं पाई।

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