करनाल: महापुरुष सर्वसमाज के उनकी जाति ढूंढना सही नहीं : डॉ. चौहान

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Dr. Virendra Singh Chauhan
Dr. Virendra Singh Chauhan
प्रवीण वालिया,करनाल:
 महापुरुष किसी जाति विशेष में जन्म लेने के कारण सिर्फ उसी जाति के नहीं हो जाते। जिसने अपने जीवन की सारी ऊर्जा पूरे समाज के लिए लगा दी हो, वह महापुरुष किसी एक जाति का नहीं हो सकता। महापुरुष सदैव सर्वसमाज के होते हैं। यह टिप्पणी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने रेडियो ग्रामोदय के कार्यक्रम जय हो में ग्रामीणों से संवाद के दौरान राजा अनंगपाल सिंह तोमर व सम्राट मिहीर भोज के जन्म की जाती को लेकर राजपूत व गुज्जर समाज के लोगों के बीच चल रही तनातनी को लेकर की। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ लोग सभी समुदायों में होते हैं। जो देश को प्रगति के पथ पर जाता हुआ नहीं देखना चाहते वह किसी न किसी बात पर विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं। कभी महापुरुषों की जाति ढूंढी जाती है तो कभी किसी अन्य मसले पर विवाद खड़ा किया जाता है। कुछ शरारती तत्व सभी जातियों में हैं।
इसलिए किसी एक समुदाय को दोषी ठहराने से काम नहीं चलेगा। देश को बांटने की मंशा रखने वाले लोग देश के भीतर भी हैं और बाहर भी। हमें ठंडे दिमाग से यह विचार करना चाहिए कि ऐसे विवादों से किनका फायदा होता है। सरसों तेल के बदले में पैसे को लेकर उत्पन्न ताजा विवाद पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए डॉ. चौहान कहा कि कुछ बीपीएल व अंत्योदय परिवारों के खातों में पैसा जमा न हो पाने का कारण तकनीकी गड़बड़ी है। यह गड़बड़ी ठीक हो जाने के बाद सरसों तेल के एवज में प्रतिमाह दी जाने वाली 250 रुपये की राशि इन परिवारों के खातों में एकमुश्त डाल दी जाएगी। इसके लिए किसी को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। जांच में पाया गया कि सरकार के पास दर्ज कराए गए बीपीएल परिवारों की खातों में  तकनीकी गड़बड़ी थी। कहीं खाता संख्या सही नहीं थी तो कहीं आईएफएससी कोड। इन गड़बडिय़ों को दुरुस्त कराया जा रहा है। गड़बड़ी ठीक हो जाने पर योजना लागू होने की तिथि से ही पैसे का भुगतान किया जाएगा।
कार्यक्रम के दौरान एक ग्रामीण गुरमेज ने कहा कि जनवितरण प्रणाली के तहत दिया जाने वाला आटा गुणवत्ता के लिहाज से अच्छा नहीं है। इसलिए आटे के बजाए गेहूं देना ही श्रेयस्कर होगा। गांव गोंदर से जुड़े रामकुमार ने गांव में स्थित हनुमान मंदिर वाली गली में सफाई व्यवस्था ठीक ना होने की शिकायत की। उन्होंने कहा सफाई व्यवस्था ठीक न होने के साथ-साथ गांव में पानी सप्लाई करने वाले ट्यूबवेल पर लोड भी ज्यादा है। हिमाचल प्रदेश से जुड़े दिनेश भनवाल के साथ संवाद के दौरान डॉ. चौहान ने कहा कि पहाड़ों में प्राकृतिक हादसों के लिए पर्यटक ही मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं। वे भ्रमण के साथ-साथ गंदगी भी फैलाते हैं। भूस्खलन जैसे हादसों के बाद कुछ दिनों तक इसकी खूब चर्चा होती है, लेकिन बाद में सब शांत हो जाता है।
बाल पबाना के ग्रामीण किरणपाल ने अपने गांव में पानी निकासी की समस्या के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि गांव में सीवरेज की व्यवस्था का भी अभाव है। इस पर डॉ चौहान ने कहा कि जोहड़ों पर अतिक्रमण होने के कारण बरसाती पानी इन जलाशयों में समाहित नहीं हो पाते और पानी घरों में घुस जाता है। ग्रामीणों से संवाद के दौरान डॉ चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए ही हैं। सरकार किसानों के साथ थी और हमेशा रहेगी। कुछ लोग किसानों का इस्तेमाल कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं।
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