कैथल : गुरु पूर्णिमा पर साधु भंडारा व दिव्य भजन संध्या आयोजित

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Sadhu Bhandara and divine bhajan
Sadhu Bhandara and divine bhajan

मनोज वर्मा, कैथल :
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा संचालित संस्था आर्ट आॅफ लिविंग की कैथल इकाई के तत्वावधान में गुरु-पूर्णिमा के पावन अवसर पर दोपहर के समय श्री वेदविज्ञान महाविद्यापीठ कपिस्थल आश्रम कैथल में साधु भण्डारा तथा सायंकाल गान, ज्ञान तथा ध्यान जैसे दिव्य रत्नों से सुशोभित आनलाइन दिव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। आचार्य दीपक सेठ एडवोकेट ने बताया कि वेदविज्ञान महाविद्यापीठ कपिस्थल आश्रम कैथल में स्वामी रामनाथ शर्मा के पावन सानिध्य में कोविड प्रोटोकाल के सभी नियमों का पालन करते हुए साधु भंडारा आयोजित किया गया। तत्पश्चात सायंकालीन कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्या अल्पना मित्तल द्वारा दीप प्रज्वलन संग गुरुपूजा के पश्चात गणेश वन्दना वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकायेर्षु सर्वदा, गाकर किया गया। डाक्टर सुनीला सीकरी द्वारा कलात्मक संगीत से सुसज्जित गुरु-चरणों में समर्पित भजन तू माने या न माने दिलदारा, असां ते तैनूं रब मनेया, की मनमोहक गूंज से सम्पूर्ण वातावरण अध्यात्मिकता की पवित्र खुशबू से महक उठा। गुरु-पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भाव-विभोर अल्पना मित्तल, सूरजभान शांडिल्य, सोनिया मिगलानी, डॉक्टर सुनीला सीकरी आदि साधकों ने परमपूज्य गुरुदेव से सम्बद्ध अपनी मधुर स्मृतियां भी साँझी की।

अल्पना मितल ने बताया कि गुरु अपने दिव्य-ज्ञान द्वारा व्यक्ति को अंधकार(अज्ञान) से प्रकाश(ज्ञान) की ओर ले जाता है। सूरजभान शांडिल्य ने गुरु-शिष्य सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए गुरु को अनादि, अनन्त तथा जन्म-जन्म का साथी बताया। सोनिया मिगलानी ने कहा कि इक सद्गुरु के जीवन में होने से व्यक्ति ज्ञानपथ पर चलते हुए अपने मानव जीवन प्राप्त करने को सार्थक कर पाता है। शेफाली खुराना द्वारा गाए गए ह्रदय-स्पर्शी भजन छोड़ दी कश्तियाँ अब तेरे नाम पे, अब किनारे लगाना तेरा काम है, का श्रवण करते हुए साधकों द्वारा स्वयं को गुरु चरणों में समर्पित करने की दिव्य अनुभूति अर्जित करना आज के कार्यक्रम का दिव्य आकर्षण रहा। इस दिव्य आयोजन में दीपक सेठ एडवोकेट, अल्पना मित्तल, कंचन सेठ, डाक्टर सीमा भटनागर, डाक्टर विकास भटनागर, डाक्टर सुनीला सीकरी, डाक्टर राजेश सीकरी, भारत खुराना, सोनिया मिगलानी, मोनिका कथूरिया, सूरजभान शांडिल्य, सुमन सेठ, निशा अरोड़ा, युधिष्ठिर मित्तल, भारती गुप्ता, शैलजा खुराना, सुनील खुराना, शेफाली खुराना, दैविक खुराना, कृष्ण मिगलानी, सुषमा वत्स तथा कमल कान्त गान्धी आदि साधकों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति द्वारा इस कार्यक्रम को सार्थकता प्रदान की।

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