कैथल: नगर परिषद कैथल के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं महात्मा गांधी मार्किट के करीब 6 दर्जन दुकानदार

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Kaithal's Mahatma Gandhi Market
Kaithal's Mahatma Gandhi Market

मनोज वर्मा, कैथल।

 नगर परिषद कैथल तथा इसके अधिकारी अपने कार्य में कितने दक्ष तथा निपुण हैं इसके जीते जागते प्रमाण पहले भी कई बार मिल चुके हैं। सरकारी काम की आड में कथित तौर पर यहां कार्यरत अधिकांश अधिकारियों व कर्मचारियों की नजरें हमेशा ही मोटी कमीशन और दो नंबर की आमदन पर ही टिकी रहती हैं। उसी मोटी और दो नंबर की कमाई को डकारने का कोई भी मौका यहां कार्यरत अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी नहीं छोडते। इसी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए अबकी बार यहां कार्यरत कथित ठेकेदारों, अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपनी जेबें गर्म करने के लिए शहर की सबसे पुरानी व भीडभाड वाली महात्मा गांधी मार्किट को रातों रात उधेड कर रख दिया और करीब 2 महीनों से उस उधडी हुई सडक़ को बनाने के लिए अब कानूनी पचड़ो के चलते गुरेज कर रहे हैं। अधिकारी और कथित ठेकेदार मोटी मलाई खाने के इंतेजार में थे अब वो कोर्ट कचहरी के चक्करों में उलझ कर रह गए हैं। जिसके चलते यहां के करीब 6 दर्जन दुकानदारों को रोजी रोटी के लाले पड़े हुए हैं। उसका मुख्य कारण यह है कि एक तो कोरोना महामारी के चलते पिछले काफी लंबे अर्से से बाजारों की हालत खस्ता चल रही है, दूसरी तरफ इस उधडी हुई सडक़, कीचड़ और गंदगी के चलते उनकी दुकानदारी ठप्प पडी हुई है।

किसी ने नहीं सुनी इनकी फरियाद

पिछले करीब 2 महीनों से नगर परिषद के अधिकारियों की लारवाही का दंश झेल रहे दुकानदारों मार्किट के प्रधान सुरेन्द्र मित्तल, धन सचदेवा, नरेन्द्र पाल, विकास सिंगला, रायल क्लाथ हाऊस, रघुबीर सिंह, प्रवीण जिंदल, रघुबीर सिंह, फूल सिंह, सुबे ङ्क्षसह, जगदीश कुमार, अमित गोयल, राम नरेश, सुनील कुमार, विशाल कुमार, नरेश कुमार, रमेश कुमार दीवान चंद आदि ने बताया कि गत 20 मई से उनकी मार्किट को नगर परिषद के अधिकारियों ने खुदवाया हुआ है। मगर आज दो महीनों का लंबा अंतराल बीत जाने के पश्चात भी उनकी मार्किट में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं और सडक़ का निर्माण कार्य बीच में ही अटका पड़ा है। मगर नगर परिषद के अधिकारी उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं कर पा रहे हैं जबकि वे पिछले करीब 2 महीनों से अधिकारियों से फरियाद कर रहे हैं।

पानी निकासी को लेकर की थी शिकायत दर्ज

मार्किट के दुकानदारों ने बताया कि यहां पर पूरी मार्किट में पानी की निकासी की बड़ी गंभीर समस्या काफी समय से चली आ रही है। उसी के चलते ही उन्होंने कई बार नगर परिषद के अधिकारियों को इसकी शिकायत की थी। मार्किट वालों का आरोप है कि इसी मार्किट के कुछ दुकानदारों ने अपनी नीजि स्वार्थों के चलते सडक़ की बीचों बीच या फिर साईड में अलग से मिटटी या फिर पक्की बजरी डाल कर सडक़ को अपनी दुकानों के आगे से ऊंचा उठा दिया था। जिसके चलते पीछे की तरफ का सारा पानी उनकी दुकानों के आगे आकर रूक जाता था। जिसके लिए उन्होंने अधिकारियों को दरखास्त दी ताकि उनकी समस्या का समाधान हो सके।

बरसात के चलते दुकानों नीचे धंसने का बना है डर

दुकानदारों ने बताया कि आजकल बारिश का मौसम चल रहा है। नगर परिषद के अधिकारियों ने यहां पर मार्किट के दोनों तरफ करीब तीन तीन फुट चोडी सडक को खोद कर रख दिया है। आए दिन बरसात का सारा पानी इस खुदी हुई सडक के नीचे जा रहा है ओर उनकी दुकानों के जो पतनाले लगे हुए हैं उनका पानी भी इस खुदी हुई सडक के नीचे जा रहा है। जिसके चलते कुछ दुकानदारों की दुकानों में दरारें तक आ चुकी हैं। जिसके चलते दुकानों के गिरने व दुकानों के जमीन में धंसने का डर हर समय बना हुआ है। जिसके चलते कभी भी कोई गंभीर हादसा  घटित हो सकता है और बड़ा जानमाल का नुक्सान भी हो सकता है।

ठेकेदार ने बताया कि बिना टैंडर ही हो जाते हैं सारे काम

जब इस विषय में संबंधित ठेकेदार रामदिया से बात की तो उसने बताया कि मेरे पास इस सडक़ को बनाने का काम अलाट हुआ है। जब पत्रकार ने उससे यह पूछा कि क्या आपके पास इस सडक को खोदने की परमिशन और काम को करने का कांट्रेक्ट या फिर कोई अनुमति या फिर इस काम को करने का कोई प्रपोजल है, तो इस ठेकेदार ने बताया कि जनाब टैंडर की क्या जरूरत है। बिना टैंडर पास हुए ही सारे काम हो जाते हैं। जब काम हो जाएगा तो परमीशन भी मिल जाएगी। हम कोई गलत काम थोडी कर रहे हैं। जब उससे यह पूछा गया कि आपको किस अधिकारी ने यहां पर तोड फोड करने और निर्माण कार्य करने के लिए भेजा है तो उसने कहा कि ये दुकानदार अधिकारियों से मिले थे और अपनी समस्या उनको बताई थी। जिसकी चलते मुझे यह काम अलाट हो गया और मैंने अपना काम लेबर बुला कर शुरू कर दिया।

6 लाख की है अनुमानित लागत

जब ठेकेदार रामदिया से पत्रकार द्वारा पूछा गया कि कितनी लागत से यहां पर निर्माण कार्य होना है तो उसने बताया कि यहां पर सडक के दोनों तरफ प्लास्टिक के पाईप डालने के लिए मुझे बोला गया है ओर उस पर करीब 6 लाख की अनुमानित लागत आएगी। जबकि प्लास्टिक के पाइप गलियों, नालियों व अन्य भीड भाड वाले बाजारों में सडक  के नीचे दबाने पर पाबंदी है ऐसा बताया गया है। पानी निकासी के लिए सडक  के दोनों तरफ पाईप डालने से पानी की निकासी सुचारू हो जाएगी और दुकानदारों की परेशानी भी खत्म हो जाएगी। जब मेरा काम खत्म हो जाएगा तो अधिकारी मेरा भुगतान अपने आप ही कर देंगें।

क्या कहते हैं अधिकारी

जब इस विषय में ईओ बलबीर रोहिला से बात की तो उन्होंने बताया कि मार्किट वालों का आपस में किसी दुकानदार के साथ विवाद चल रहा है। उसी के चलते ही यहां पर हमने काम को बंद किया हुआ है। दुकानदारों ने पानी निकासी की समस्या के लिए उन्हें बताया था जिसके लिए हमने यहां पानी निकासी का प्रबंध करने के लिए सडक़ को खुदवाया था। जिसे शीघ्र ही बनवा दिया जाएगा। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आपने इसके लिए कोई टैंडर छोडा है तो उन्होंने बताया कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता एक्सईएन हिमांशु लाटका को इसके बारे में पता होगा। यह सारा कार्य उनकी निगरानी में हो रहा है।

क्या कहते हैं पूर्व पार्षद

पूर्व पार्षद राकेश सरदाना से जब इस पत्रकार ने बात की तो उन्होंने बताया कि बिना टैंडर पास किए तो कमेटी में कोई भी काम नहंी हो सकता। किसी भी निर्माण कार्य को करवाने के लिए पहले टैंडर छोडा जाता है, फिर उस टैंडर के रेटों को देखा जाता है, फिर एजैंडे में उसे पास करवाया जाता है। उसके बाद किसी कार्य को करने की प्रक्रिया शुरू होती है। अगर इस कार्य को करने के लिए ठेकेदार के पास कोई परमीशन या टैंडर अलॉट नहीं है तो यह भी अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है अधिकारियों ने किसी बड़े प्रोजेक्ट के टैंडर के साथ इसकी भी अनुमति ले रखी हो जिसके चले यह निर्माण करवाया जाना था जोकि अब बीच में ही अटक गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मार्किट में कुछेक दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे सडक को बीच से ऊंचा किया हुआ है जोकि सडक के लेवल के अनुसार ठीक नहीं है। जिसके चलते सडक का पानी दोनों तरफ खड़ा हो जाता है। जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।

आरोप झूठे व बेबुनियाद

जब इस विषय में नगर परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंनें बताया कि यह सारा कार्य नियमों को तहत ही किया जा रहा है। किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने इसमें कोई रिश्वत या कमीशन नहीं लिया है। हां अदालत में स्टे हो जाने के चलते इस कार्य में थोडी बाधा जरूर आई है जिसे दो तीन दिनों में सुलटा लिया जाएगा और लोगों को होने वाली परेशानी से निजात मिल जाएगी।

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