Haryana Assembly Election: गत 28 वर्षों में चार पार्टियों में रह चुके जसबीर मलौर इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरे चुनावी मैदान में

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जसबीर मलौर
जसबीर मलौर

1996 में हविपा, 2000 एवं 2005 में इनेलो और 2019 में कांग्रेस पार्टी से लड़ चुके विस चुनाव
2009 में मलौर की पत्नी ने इनेलो-अकाली दल संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था विस चुनाव
(आज समाज) अम्बाला: आगामी 5 अक्टूबर को निर्धारित 15वीं हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए कांग्रेस पार्टी द्वारा अम्बाला शहर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार के तौर पर जिले के तत्कालीन नग्गल हलके से कुल चार बार विधायक रहे चुके चौधरी निर्मल सिंह मोहड़ा को प्रत्याशी बनाया गया है, जिन्होंने पांच वर्ष पूर्व अक्टूबर, 2019 में शहर विस सीट से निर्दलीय के तौर पर तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार जसबीर मलौर, जो स्वयं भी एक बार नग्गल विस हलके से विधायक रह चुके हैं, के विरूद्ध निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा था जिसमें बेशक निर्मल चुनाव हार गए परंतु उन्होंने 56 हजार वोट प्राप्त किए। निर्मल सिंह भाजपा के असीम गोयल के बाद दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार मलौर को उस चुनाव में केवल 20 हजार अर्थात 13 फीसद वोट ही मिले थे एवं ऐसा पहली बार हुआ था जब अम्बाला शहर विस सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार की जमानत जब्त हुई।

इस बार जसबीर मलौर ने निर्दलीय भरा पर्चा

बहरहाल, शहर निवासी हाई कोर्ट एडवोकेट एवं चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि पूरे पांच वर्ष बाद समय ने करवट ही है एवं इस बार कांग्रेस पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार चौ. निर्मल सिंह के विरूद्ध जसबीर मलौर ने निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। अगर सोमवार 16 सितम्बर अर्थात उम्मीदवारी वापसी के अंतिम दिन तक मलौर निर्दलीय के तौर पर अपना नाम वापस नहीं लेते, तो इस बार फिर पांचवीं बार निर्मल और मलौर चुनावों में एक दूसरे के आमने सामने होंगे। गत चार चुनावों में दो बार निर्मल और एक बार मलौर जबकि एक बार दोनों भाजपा के उम्मीदवार से चुनाव हारे।

1996 में चुनाव हार गए थे मलौर

हेमंत ने भारतीय चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर बताया कि साढ़े 28 वर्ष पूर्व अप्रैल,1996 में हुए हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में मलौर ने सबसे पहले नग्गल हलके से तत्कालीन बंसी लाल की हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) से चुनाव लड़ा था जिसमें वह कुल पड़े 90 हजार 609 वैध वोटों में से केवल 15 हजार 162 (16.73%) वोट ही हासिल कर पाए थे एवं तब निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ रहे निर्मल सिंह ( 34 हजार 822 वोट) से 19660 वोटों के अंतर से मलौर हार गए थे।

2000 के विस चुनाव में मलौर ने निर्मल सिंह को दी मात

कुछ वर्षों बाद मलौर ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में शामिल हो गये एवं फरवरी, 2000 में हुए विधानसभा चुनावों में मलौर ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार निर्मल सिंह को 18 हजार 873 वोटों से पराजित कर अपनी पिछली हार का बदला लिया. उस चुनाव में कुल पड़े 93 हजार 879 वोटों में से मलौर को 53 हजार 384 वोट प्राप्त हुए जबकि निर्मल को 35 हजार 111 वोट मिले थे। इसके पांच वर्ष बाद मार्च, 2005 में हुए विधानसभा चुनावों में एक बार फिर निर्मल सिंह ने बाजी मारी और मलौर को 5482 वोटों से पराजित किया।. उस चुनाव में मलौर को 47 हजार 87 वोट मिले जबकि निर्मल को 52 हजार 579 वोट मिले थे।

मलौर की पत्नी ने लड़ा 2009 का विस चुनाव

इसके बाद वर्ष 2007-08 में परिसीमन के बाद नग्गल हलका समाप्त कर दिया गया एवं इसका क्षेत्र अंबाला शहर और अंबाला कैंट विधानसभा हलकों में शामिल कर दिया गया। इसके बाद अक्तूबर, 2009 के विधानसभा चुनावों में मलौर की पत्नी बीबी चरणजीत कौर ने अंबाला शहर हलके से इनेलो-शिरोमणि अकाली दल के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और कुल पड़े वैध 1 लाख 31 हजार 569 वोटों में से 33 हजार 885 वोट (25.75%) हासिल किए हालांकि इन चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी विनोद शर्मा (वर्तमान में हरियाणा जनचेतना पार्टी सुप्रीमो) ने बीबी चरणजीत को 35 हजार 550 वोटों से हरा दिया। रोचक बात यह रही कि इस चुनाव में इन दोनों के अलावा बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हो गयी थी जिसमें भाजपा के डॉ. संजय शर्मा भी शामिल थे जिन्हें 10 प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे।