कहा, कीटनाशक रहित बासमती निर्यात को तेज करने के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत
Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब में भूमिगत जल के अंधाधुंध दोहन के चलते बिगड़ रही स्थिति पर कृषि विशेषज्ञों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही किसानों से अपील की है कि वे फसली चक्र से बाहर निकलें और धान की जगह अन्य फसलों के उत्पादन पर फोकस करें। इसके साथ ही कीटनाशकोें के अवशेष रहित बासमती निर्यात को तेज करने सम्बन्धी पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग के चेयरमैन प्रो डा. सुखपाल सिंह के नेतृत्व अधीन विचार-विमर्श किया गया।
जिससे फसली राज्य में फसल विविधीकरण लाया जा सके और कम से कम 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र धान से बाहर निकाला जा सके। इस विचार चर्चा में डा. संदीपराव पाटिल, उत्तरी भारत जोनल मैनेजर, डॉ. मालविन्दर सिंह मल्ली, ग्लोबल ट्रेनर बाईर फसल विज्ञान और डॉ. आरएस बैंस, मानवप्रीत सिंह आरओ, गगनदीप आरए शामिल हुए।
इसलिए बासमती निर्यात हुआ बाधित
यह विचार-विमर्श रणनीतिक हस्तक्षेप तैयार करने और राज्य से यूरोपियन यूनियन और संयुक्त राज अमरीका को बासमती के निर्यात में शामिल रुकावटों की पहचान करने के लिए किया गया जिसमें यह सामने आया कि एमआरएल से अधिक कीटनाशकों का अवशेष इन देशों को निर्यात में रुकावट डालने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ. राव ने आयोग के चेयरमैन के संज्ञान में यह भी लाया कि कृषि और किसान कल्याण विभाग ने 11 कीटनाशकों पर पाबंदी लगाई है जो 1 अगस्त से 30 सितम्बर तक लागू की जाएगी, जोकि एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि, विभाग को कुछ कीटनाशकों के फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए जो विश्व स्तर पर धान की फसल पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं और उन देशों में अवशेष की कोई समस्या नहीं है।
धान की जगह मक्का की फसल बेहतर विकल्प
धान के व्यावहारिक विकल्प के तौर पर खरीफ मक्का की फसल एक महत्वपूर्ण फसल है जो पानी की खपत धान की फसल की अपेक्षा बहुत कम करती है। चेयरमैन ने एक खरीफ मक्का हाइब्रिड विकसित करने पर जोर दिया जिस में कम से कम 35 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन के साथ धान के तुलनात्मक आधार पर आमदन प्राप्त की जा सके।
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