Interesting customs to celebrate the new year: नव वर्ष मनाने के दिलचस्प रीति-रिवाज

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नव वर्ष का स्वागत वैसे तो पूरी दुनिया में खूब धूमधाम, उमंग और उल्लास के साथ किया जाता है और अधिकांश देशों में नववर्ष मनाने को लेकर विचित्र परम्पराएं भी देखने को मिलती हैं। ठीक उसी प्रकार भारत के विभिन्न राज्यों में भी नववर्ष का स्वागत अलग-अलग तरीके से किया जाता है। हमारे यहां जो उत्साह होली, दीवाली, दशहरा, ईद, क्रिसमस, गुरूपर्व इत्यादि विभिन्न त्यौहारों पर देखा जाता रहा है, बिल्कुल वैसा ही उत्साह लोगों में नववर्ष के अवसर पर भी देखा जाता है। नव वर्ष की शुरूआत के अवसर पर लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हुए खुद के लिए भी भगवान से प्रार्थना करते हैं कि नया साल उनके लिए भी शुभ एवं फलदायी हो, नए साल में सफलता उनके कदम चूमे तथा नव वर्ष उनके जीवन की बगिया को खुशियों से महका दे। जिस प्रकार दुनिया के कई देशों में नया साल मनाने के विचित्र रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं, उसी प्रकार भारत में भी विभिन्न स्थानों पर नव वर्ष मनाने की ऐसी विचित्र परम्पराएं और रीति-रिवाज देखे जाते हैं कि उनके बारे में जानकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
बहरहाल, भारत सहित दुनियाभर में नव वर्ष मनाए जाने की परम्पराएं चाहे जो भी हों, सभी का उद्देश्य एक ही है कि नया साल सुख, शांति एवं समृद्धि से परिपूर्ण हो। पूरी दुनिया में एक जनवरी को ही नए साल के रूप में मनाया जाता है, जो वास्तव में ईसाई धर्म का नया वर्ष है। एक ओर जहां दुनियाभर में एक जनवरी को ही नया साल मनाया जाता है, वहीं दुनिया भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां नव वर्ष का उत्सव अलग-अलग जगह पर अलग-अलग समय में एक से अधिक बार और विविध रूपों में अपनी-अपनी संस्कृति और परम्पराओं के साथ मनाया जाता है।
हमारे यहां ईस्वी संवत् तथा विक्रमी संवत् दोनों को ही पूरा महत्व दिया जाता है। ईस्वी संवत् के अनुसार नव वर्ष की शुरूआत एक जनवरी को और विक्रमी संवत् के अनुसार नए साल की शुरूआत वैशाख माह के प्रथम दिन से मानी जाती है। इस्लाम में नववर्ष की शुरूआत हिजरी संवत् के आधार पर मानी जाती है, जो मुहर्रम के पहले दिन से शुरू होता है।
इस्लामिक धार्मिक पर्व को मनाने के लिए हिजरी कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक चंद्र कैलेंडर है। भारत चूंकि एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए हमारे यहां लगभग हर क्षेत्र में नए साल का उत्सव कृषि आधारित ही होता है। आइए जानते हैं भारत में कैसे मनाया जाता है नव वर्ष का जश्न। कृषि प्रधान राज्यों हरियाणा तथा पंजाब में वैसे तो एक जनवरी को ही नववर्ष धूमधाम से मनाया जाता है किन्तु यहां नई फसल का स्वागत करते हुए नववर्ष वैसाखी के रूप में भी मनाया जाता है।
राजस्थान में नव वर्ष के विशेष अवसर पर गुड़ से बने पकवान खाना बहुत शुभ माना जाता है ताकि वर्षभर मुंह से मधुर बोली ही निकलती रहे। महाराष्ट्र में इस अवसर पर एक सप्ताह पहले ही घरों की छतों पर रेशमी पताका फहराई जाती है, घरों तथा दफ्तरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और पतंगें उड़ाकर नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। जम्मू कश्मीर में नव वर्ष के उपलक्ष्य पर अनाथ बच्चों को भरपेट भोजन कराकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं और उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारी जाती है ताकि नव वर्ष हंसी-खुशी के साथ व्यतीत हो सके।
बिहार में नव वर्ष के मौके पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। गरीब बच्चों को कपड़े तथा चावल का दान किया जाता है ताकि वर्ष भर घरों में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रही। असम में नव वर्ष की यादगार बेला में घर के आंगन में मांडणे (रंगोली) सजाए जाते हैं तथा दीप या मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। गाय को रोटी और गुड़ खिलाया जाता है ताकि नव वर्ष हंसी-खुशी के साथ गुजरे। केरल में नव वर्ष के अवसर पर नीम व तुलसी की पत्तियां तथा गुड़ खाना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इनको खाने से शरीर साल भर तक स्वस्थ बना रहता है। मणिपुर में इस दिन तरह-तरह की आतिशबाजी की जाती है तथा अनेक स्थानों पर भूत-प्रेतों के पुतले बनाकर भी जलाए जाते हैं ताकि भूत-प्रेत किसी को नुकसान न पहुंचा सकें।
भारतीय कैलेंडर की गणना, सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है क्योंकि माना जाता रहा है कि सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में ही सबसे पहले भारत में कैलेंडर अथवा पंचाग का चलन शुरू हुआ था। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नवसंवत्सर कहा जाता है। यही वह समय होता है, जब किसानों को उनकी मेहनत का फल मिलता है। हिन्दू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है।

योगेश कुमार गोयल
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)

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