महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में दो दिवसीय शोध कार्यशाला का उद्घाटन

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Inauguration of two day research workshop at Maharishi Dayanand University

संजीव कौशिक,रोहतक: 

गुणवत्तापरक शोध के लिए शोध मनोवृति विकसित करने, अंतर विषयक शोध पर फोकस करने, तथा शोध सृजित नूतन ज्ञान को जन-जन तक ले जाने का आहवान महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रो. नवरतन शर्मा ने आज- गेटवे टू क्वालिटी रिसर्च एण्ड एकेडमिक राइटिंग विषयक दो दिवसीय शोध कार्यशाला में उद्घाटन भाषण देते हुए कहा। इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन चौ. रणबीर सिंह इंस्टीटयूट आफॅ सोशल एण्ड इकोनोमिक चेंज के तत्वावधान में किया जा रहा है।

अधिष्ठाता प्रो. नवरतन शर्मा ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक को जीवन पर्यंत विद्यार्थी बनने की मानसिकता रखनी होगी। उनका कहना था कि सामाजिक विज्ञान शोध के जरिए जीवन की गुणवत्ता की अभिवृद्धि का प्रयास किया जाना चाहिए।

सामाजिक-आर्थिक सांस्कृतिक बदलाव के अध्ययन के लिए शोध जरूरी

इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता सेंटर फॉर स्टडी आफॅ डेवलपिंग सोसायटी दिल्ली के लोक नीति संस्थान के निदेशक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि समाज-देश-विश्व में हो रहे सामाजिक-आर्थिक सांस्कृतिक बदलाव के अध्ययन के लिए शोध जरूरी है। प्राध्यापक-शोधार्थी इस प्रकार के शोध के जरिए समस्या निवारण का प्रयास कर सकता है। सामाजिक शोध में आने वाली समस्याओं बारे भी प्रो. संजय कुमार ने चर्चा की।

इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे

इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में निदेशक, चौ. रणबीर सिंह इंस्टीटयूट फॉर सोशल एण्ड इकोनोमिक चेंज प्रो. इंद्रजीत ने बताया कि फैकल्टी सदस्यों के क्षमता संवर्धन के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। मंच संचालन डा. पिंकी शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन कार्यशाला संयोजक प्रो. दीप्ति हुड्डा ने किया। कार्यशाला के प्रारंभ में संयोजक प्रो. निर्मल कुमार स्वैन ने कार्यशाला के थीम पर प्रकाश डाला। आज कार्यशाला के तकनीकी सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के प्रोफेसर डा. राज कुमार ने शोध के नए रूझानों पर प्रकाश डाला। आईआईटी (दिल्ली) के प्रो. नबी हसन ने- टूल्स फॉर मैकसीमाइजिंग एकेडमिक विजीबिलीटी विषयक विशेष व्याख्यान दिया। आज तकनीकी सत्रों का संचालन डा. अंजलि दूहन, डा. जसवंत सैनी तथा डा. जगदीप सिंगला ने किया। विश्वविद्यालय के फैकल्टी आफॅ हयूमेनिटी एण्ड आर्टस के डीन प्रो. हरीश कुमार, विधि संकाय की डीन प्रो. कविता ढुल समेत विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी कार्यशाला में उपस्थित रहे।

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