चंबा में प्रदेश के प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन आधारित मोबिलिटी स्टेशन का कार्य शुरू
Himachal News ( आज समाज)शिमला। हिमाचल प्रदेश देश का पहला हरित ऊर्जा राज्य बनने की ओर अग्रसर है। प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में 31 मार्च, 2026 तक स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार हरित ऊर्जा विकल्पों का समुचित दोहन सुनिश्चित कर रही है।
सौर ऊर्जा पर्यावरण हितैषी और ऊर्जा का नवीकरणीय साधन है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। सौर ऊर्जा परियोजनाओं का रख-रखाव आसानी से किया जा सकता है और इनका जीवनकाल भी लम्बा होता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश सरकार हरित उद्योगों को बढ़ावा प्रदान कर रही है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे बड़ी चुनौती है और प्रदेश सरकार हरित पहल के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करने की दिशा में कार्य रही है।
केंद्र सरकार के समक्ष हिमाचल के हितों की पैरवी कर रहे सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू सौर ऊर्जा के लिए केंद्र सरकार के समक्ष भी हिमाचल के हितों की पैरवी कर रहे हैं। वह केंद्र से स्पीति में मेगा सोलर पार्क के लिए भी सहायता का आग्रह कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि स्पीति में 1000 मेगावॉट हाइब्रिड सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है जिसका ग्रीन कॉरिडोर ट्रांसमिशन के जरिए दोहन किया जा सकता है। वहीं सतलुज घाटी में सौर, पवन और जलविद्युत ऊर्जा की भी अपार संभावनाएं हैं।
परिवहन विभाग प्रदेश का पहला विभाग है जहां सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री भी अपने अधिकारिक कार्यक्रमों के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों में ही सफर कर रहे हैैं। राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तहत प्रदेश सरकार द्वारा निजी भूमि पर 100 से 500 किलोवाट तक के सोलर पैनल लगाने के लिए 45 फीसदी उपदान दिया जा रहा है। वहीं राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तहत 40 प्रतिशत उपदान पर ई-टैैक्सी चलाने के लिए 10 हजार परमिट दिए जा रहे हैैं।