Healthy competition between Sanju Samson and Rishabh Pant augurs well for Team India: संजू सैमसन और ऋषभ पंत के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता टीम इंडिया के लिए अच्छा संकेत

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कुछ खिलाड़ी किस्मत के बहुत धनी होते हैं। उनके दो-तीन अच्छे प्रदर्शनों का फायदा उन्हें लम्बे समय तक मिलता है लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी होते हैं जो लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी हाशिए पर रह जाते हैं। ऋषभ पंत पहली श्रेणी में और संजू सैमसन दूसरी श्रेणी में आते हैं। संजू में जितनी क्षमता है, उससे वह टीम इंडिया में और मौके मिलने के हकदार हैं।

शारजाह को आमतौर पर 80 के दशक में भारत-पाकिस्तान मुक़ाबलों के लिए या सचिन तेंडुलकर के कोकाकोला कप की दो तूफानी पारियों के लिए याद किया जाता है। इस बार 13वें आईपीएल के शारजाह में खेले पहले ही मैच में संजू सैमसन की बल्लेबाज़ी का ऐसा तूफान देखने को मिला कि उसके सामने धोनी की सीएसके टीम के परखच्चे ही उड़ गए। उनकी 32 गेंदों पर 74 रनों की पारी में सिर्फ एक चौका और नौ छक्के शामिल थे। जिन पीयूष चावला ने मुम्बई इंडियंस के खिलाफ बेहतरीन गेंदबाज़ी करके जीत का रास्ता खोला था, उन्ही पीयूष को उन्होंने बेहद आसान बना दिया। उनके एक ओवर में उन्होंने तीन छकके और एक अन्य ओवर में एक छक्का लगाया। इसी तरह जडेजा पर तीन छक्के, सैम करन और दीपक चाहर पर भी उन्होंने छक्के लगासए। ये सभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं जिन पर पॉवरहिटिंग करके संजू उन्हें बेहद सहजता से खेले। अपने कप्तान स्टीव स्मिथ के साथ 200 से ऊपर की स्ट्राइक रेट से सेंचुरी पार्टनरशिप करके उन्होंने राजस्थान रॉयल्स की जीत का आधार तैयार किया। बहुत अच्छे टाइमिंग के साथ क्लीन हिटिंग उनकी पारी की सबसे बड़ी विशेषता थी। शुरुआती दौर में पुल, फिर स्ट्रेट और फिर कवर के ऊपर से उनके छक्के दर्शनीय थे। इतना ही नहीं, इसी मैच में दो कैच और दो स्टम्प करने के साथ ही वह इस मैच के हीरो बन गए।

संजू की इस पारी के बाद ट्विटर पर यही बात ट्रोल हो गई कि बीसीसीआई ने ऋषभ पंत को संजू पर तरजीह दी जबकि संजू ज़्यादा प्रतिभाशाली हैं। इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि संजू आईपीएल में एक हज़ार रन पूरे करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी रहे। रणजी टीम केरल की कप्तानी हो या फिर आईपीएल और चैम्पियंस लीग में हाफ सेंचुरी लगाना – इसमें भी वे सबसे युवा खिलाड़ी रहे। वह विजय हज़ारे ट्रॉफी (वनडे) में डबल सेंचुरी बनाने वाले पहले विकेटकीपर बल्लेबाज़ रहे। लिस्ट ए क्रिकेट की सबसे तेज़ डबल सेंचुरी भी उनके नाम रही।

आईपीएल में यह उनकी कोई पहली आतिशी पारी नहीं थी। पिछले साल उन्होंने आईपीएल में अपनी दूसरी सेंचुरी सिर्फ 55 गेंदों पर बनाई। इसी मैच में भुवनेश्वर के एक ओवर में उन्होंने अपना आतिशी अंदाज़ दिखाते हुए चार चौके, एक छक्का और दो रन सहित कुल 24 रन बटोरे। अब अगर कोई बल्लेबाज़ टीम इंडिया के गेंदबाज़ों की इस कदर धुनाई करने का माद्दा रखता हो तो उसकी हर पारी वास्तव में मायने रखती है। पछले वर्ष ही सीएसके के खिलाफ दो रन बनाते ही उन्होंने आईपीएल में दो हज़ार रन पूरे करने वाले सबसे युवा क्रिकेटर होने का रुतबा हासिल किया। कुछ साल पहले चैम्पियंस लीग का वह मैच कैसे भुलाया जा सकता है जब उन्होंने सचिन, रोहित और किरोन पोलार्ड  को लपकने के बाद स्टम्प्स के आगे भी शानदार प्रदर्शन करते हुए हाफ सेंचुरी बनाई। इसी तरह चैम्पियंस लीग के फाइनल में मुम्बई इंडियंस के खिलाफ 33 गेंदों पर उनकी 60 रन की पारी भी खासी यादगार रही।

 यहां संजू की उपलब्धियों को बताने का मकसद ऋषभ पंत को नीचा दिखाना कतई नहीं है। ऋषभ भी प्रतिभशाली हैं लेकिन अब उन्हें आंख बंद करके धोनी का उत्तराधिकारी मानने की कोई भूल नहीं करेगा। ऋषभ के साथ दिक्कत उनकी मनोवैज्ञानिक स्थिति को लेकर है। आईपीएल में उनका प्रदर्शन भी काबिलेगौर रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की दो टेस्ट सेंचुरियों में उनमें एक बड़ा खिलाड़ी बनने की तस्वीर दिखाई दी। इसी वजह से उन्हें खूब मौके मिले। कुछेक पारियों में उन्होंने प्रभावित भी किया लेकिन उनका लगातार अच्छा प्रदर्शन करने का ग्राफ  काफी नीचे रहा। अब संजू को ऋषभ की इसी कमज़ोरी का लाभ उठाते हुए लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा। ज़ाहिर है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वस्थ प्रतयोगिता का पनपना भविष्य के लिए एक अंच्छा संकेत है। हालांकि विकेटकीपिंग दोनों की औसत दर्जे की है लेकिन दोनों इस क्षेत्र में तेज़ी से सुधार कर रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस स्वस्थ प्रतियोगिता के बाद जिस भी खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौका मिलता है, वह अपने लगातार अच्छा प्रदर्शन न करने की कमी में सुधार करेंगे और धोनी (पुराने वाले धोनी) का सही मामले में उत्तराधिकारी बनेगा।

मनोज जोशी

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