Gyanvapi Campus में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की मीडिया कवरेज पर रोक

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Gyanvapi Campus
ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की मीडिया कवरेज पर वाराणसी जिला अदालत ने रोक लगाई।

Aaj Samaj (आज समाज), Gyanvapi Campus, वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में जारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के मीडिया कवरेज पर जिला अदालत ने रोक लगा दी है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजमिया कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग की थी। जिला अदालत के आदेश में कहा गया है कि सर्वे टीम के सदस्यों को मीडिया में बयान नहीं देना चाहिए।

  • किसी तरह की पोस्ट व बयान भी बैन

शांति भंग होने के मद्देनजर रोक : हिंदू पक्ष

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि अदालत ने सलाह दी है कि शांति भंग होने की आशंका के मद्देनजर ज्ञानवापी मुद्दे की रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर पोस्ट न की जाए। अंजुमन इंतजामिया कमेटी का कहना था कि सर्वे टीम या किसी अधिकारी की तरफ से बयान नहीं आया है। लेकिन अखबार, न्यूज चैनल और सोशल मीडिया पर लगातार भ्रामक खबरें चल रही हैं।

सर्वे के बहिष्कार की भी चेतावनी दी थी

बेबुनियाद खबरों का प्रसारण न रोकने पर रविवार को मुस्लिम पक्ष ने जारी सर्वे के बहिष्कार की भी चेतावनी दी थी। अंजुमन इंतजमिया कमेटी ने यह भी आरोप लगाया था कि सर्वे के दौरान शनिवार को कुछ मीडिया समूह की तरफ से मस्जिद में मूर्ति, त्रिशूल और कलश पाए जाने की झूठी खबरें प्रसारित करने पर मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। बता दें कि गुरुवार को एएसआई सर्वे का सातवां दिन था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की अनुमति के बाद एएसआई सर्वे कर रहा है।

रिवीजन याचिका पर सुनवाई टली

सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतजमिया कमेटी की ओर से जिला जज की अदालत में दाखिल रिवीजन याचिका पर सुनवाई गुरुवार को नहीं सकी। सुनवाई के लिए अब 28 अगस्त की तिथि तय हुई है। ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने, बरामद शिवलिंग जैसी आकृति की पूजा करने का अधिकार देने और वहां मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग करते हुए किरन सिंह विसेन ने अदालत में वाद दाखिल किया था।

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 17 नवंबर 2022 को वाद को सुनवाई योग्य बताया और मस्जिद कमेटी की आपत्ति को खारिज कर दिया। मस्जिद कमेटी ने इसी आदेश को चुनौती देते हुए रिवीजन याचिका दायर की है।

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