Gurugram News : सिनेमा के पुनर्जागरण एवं वैचारिक क्रांति लाने का है यही सही वक्त: अविनाश दास

0
73
Gurugram News : सिनेमा के पुनर्जागरण एवं वैचारिक क्रांति लाने का है यही सही वक्त: अविनाश दास
गुरुग्राम में विचारोत्तेजक संगोष्ठी में बोलते विषय विशेषज्ञ।
  • फिल्म निर्देशक अविनाश दास ने विचारोत्तेजक संगोष्ठी में कही यह बात
  • सिनेमा की आत्मा को छूने की एक नई पहल है फिल्मोर

(Gurugram News) गुरुग्राम। फिल्म निर्देशक अविनाश दास ने कहा कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज का दर्पण होना चाहिए। यह विचार फिल्मोर के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो पर्दे के पीछे की कहानियों को उजागर करने और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने का इरादा रखता है। यह बात उन्होंने यहां विचारोत्तेजक संगोष्ठी में बोलते हुए कही।

उन्होंने कहा कि चकाचौंध और सोशल मीडिया के शोरगुल में डूबी फिल्मी दुनिया में एक नई किरण फूट पड़ी है फिल्मोर। फिल्मी दुनिया के फिल्मोर ने फिल्मी पत्रकारिता के परिदृश्य को बदलने का संकल्प लिया है। यह महज एक पहल नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन है, जो सिनेमा को मनोरंजन से कहीं बढक़र सामाजिक संवाद और सांस्कृतिक चेतना का सशक्त माध्यम बनाने का सपना देखता है।

फिल्मोर सेलिब्रिटी गॉसिप से ऊपर उठकर सभ्यता की कहानियों को सामने लाएगा

फिल्मोर की संस्थापक और सीईओ सैंजला ने स्पष्ट किया कि यह पहल टीआरपी की अंधी दौड़ में खोई हुई पत्रकारिता को सही दिशा दिखाने का प्रयास है। उनका कहना है कि फिल्मोर सेलिब्रिटी गॉसिप से ऊपर उठकर सभ्यता की कहानियों को सामने लाएगा, जो रेड कार्पेट और सतही चर्चाओं से परे, सिनेमा की गहराई और उसके महत्व को समझने पर केंद्रित होगा। फिल्मोर के क्रिएटिव डायरेक्टर अनिल शारदा ने इसे प्रतिरोध का मंच बताते हुए कहा कि आज जब हर खबर जल्दबाजी में परोसी जा रही है, तो फिल्मोर का ठहराव एक क्रांति के समान है।

उनका मानना है कि फिल्म सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि एक विचार है, जो समाज को प्रेरित और आंदोलित कर सकता है। गोष्ठी में नीरज झा ने कहा कि फिल्मोर की सबसे बड़ी खूबी है तकनीक और मानवीय दृष्टिकोण का अद्भुत संगम। यहां, यारा एआई मात्र एक उपकरण नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सहयोगी के रूप में देखा जाता है, जो गहराई से विश्लेषण करने और छिपे हुए अर्थों को उजागर करने में मदद करता है।

सिनेमा की आत्मा को छूने और उसे एक नए दृष्टिकोण से देखने की एक साहसिक पहल

फिल्मोर एक वैकल्पिक और विचारशील फिल्म पत्रकारिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह पहल फिल्मी खबरों को सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि संदर्भ देने का वादा करती है। यह सिनेमा की आत्मा को छूने और उसे एक नए दृष्टिकोण से देखने की एक साहसिक पहल है, जिसकी फिल्म जगत को बेसब्री से तलाश थी। अब देखना यह है कि फिल्मोर अपने इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को किस प्रकार प्राप्त करता है।

यह भी पढ़ें : Gurugram News : फर्जी ओएसडी बन बिजली बोर्ड के एसडीओ को फोन करने का आरोपी अरेस्ट