Gurugram News : उद्योगों पर मासिक बिजली निर्धारित शुल्क में 76 फीसदी वृद्धि उद्योग विरोधी: विनोद बापना

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Gurugram News : उद्योगों पर मासिक बिजली निर्धारित शुल्क में 76 फीसदी वृद्धि उद्योग विरोधी : विनोद बापना
एफआईआई के प्रदेश अध्यक्ष विनोद बापना।
  • शुल्क में वृद्धि से निवेश घटने के साथ एमएसएमई इकाइयां हो सकती हैं बंद

(Gurugram News) गुरुग्राम। डिस्कॉम द्वारा उद्योगों पर लगाए गए मासिक निर्धारित शुल्क में की गई 76 प्रतिशत की वृद्धि को लेकर राज्य के उद्योग जगत में गहरी नाराजगी है। फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (एफआईआई) ने इस फैसले को उद्योग विरोधी करार देते हुए सरकार से तत्काल प्रभाव से इस फैसले को वापिस लेने की मांग की है। इस वृद्धि को वापिस लेने की मांग को लेकर एफआईआई विभिन्न औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों को साथ लेकर मुख्य्मंत्री नायब सिंह सैनी, उद्योग मंत्री, बिजली मंत्री व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को मांगपत्र भी सौंपेंगी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (एफआईआई) के प्रदेश अध्यक्ष विनोद बापना ने कहा कि उद्योगों पर मासिक निर्धारित शुल्क में वृद्धि के निर्णय उद्योगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालते हैं। खासकर उस समय जब राज्य के उद्योग पहले से ही महंगाई, वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा और ऊर्जा लागत जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

मासिक निर्धारित शुल्क में वृद्धि से उत्पादन लागत में इजाफा होगा

उन्होंने कहा कि मासिक निर्धारित शुल्क में वृद्धि से उत्पादन लागत में इजाफा होगा, जिससे हरियाणा में औद्योगिक प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी तथा जल्द ही सरकार ने अपने इस निर्णय को वापिस नहीं लिया तो प्रदेश में निवेश घटने और कई एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) इकाइयों को बंद करने तक की नौबत भी आ सकती है। इस वृद्धि को तत्काल वापस लिया जाए।

प्रदेश अध्यक्ष विनोद बापना ने कहा कि उद्योगों के लिए मासिक निर्धारित शुल्क में 76 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के बाद 165 रूपये केवीए से बढ़ाकर 290 रूपये प्रति केवीए प्रति माह कर दिया गया है। जिसका सीधा-सीधा सा मतलब 125 रूपये प्रति माह केवीए की वृद्धि की गई है।

वृद्धि के बाद अब प्रदेश के उद्योग पर 2100 करोड़ रुपये वार्षिक से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा

उन्होंने कहा कि इस वृद्धि के बाद अब 100 केवीए स्वीकृत भार वाले छोटे उद्यमों को प्रति माह 15 हजार 500 रुपये तक की वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, जबकि मध्यम आकार की फर्मों को अपने ऊर्जा बिलों में 40 हजार रुपये मासिक से अधिक की वृद्धि झेलनी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि इस वृद्धि के बाद अब प्रदेश के उद्योग पर 2100 करोड़ रुपये वार्षिक से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उद्योगों पर लगाए गए मासिक निर्धारित शुल्क में की गई वृद्धि की समीक्षा करें तथा इस वृद्धि से होने वाले नुकसानों को ध्यान में रखकर इस फैसले पर अपने आगामी कदम बढ़ाए।

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