Good opportunities for India if Australia is dismissed inside 350: अगर ऑस्ट्रेलिया को 350 के अंदर आउट कर दिया तो भारत के लिए अच्छे अवसर  

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कई खिलाड़ियों की इंजरी ने तेज़ गेंदबाज़ों का रास्ता खोल दिया है। मुझे खुशी है कि हमारे चारों तेज़ गेंदबाज़ों ने शानदार गेंदबाज़ी की। यह मैच इन गेंदबाज़ों के लिए बहुत बड़ी सीख साबित होगा। इन गेंदबाज़ों को अपनी लाइन और सटीक गेंदबाज़ी पर काम करना है क्योंकि ये एक ऐसा पक्ष है जिससे वे बल्लेबाज़ों को मुश्किल में डाल सकते हैं। अगर ऑस्ट्रेलिया को 350 के अंदर भी आउट कर दिया तो भारतीय टीम के लिए जीत का अवसर बना रहेगा।

इसके लिए ज़रूरी है कि दूसरे दिन जितना जल्दी हो सके ऑस्ट्रेलियाई पारी को समेटा जाए। इसके साथ ही रनों पर भी नियंत्रण बनाए रखना ज़रूरी होगा। अच्छी लाइन और लेंग्थ से गेंदबाज़ी करनी होगी। इसके अलावा अपनी फील्ड प्लेसमेंट के हिसाब से गेंदबाज़ी करनी होगी। ऐसा न हो कि दो स्लिपगलीप्वाइंट लगाया गया हो और आप लेग साइड पर गेंद डाल रहे हों। मेरे ख्याल से कोच बल्लेबाज़ों के वीक लिंग्स भी गेंदबाज़ों को बताएंगे जो आज के क्रिकेट में बहुत ज़रूरी है।    

अपना पहला टेस्ट खेल रहे टी नटराजन बहुत ही खुशनसीब हैं जिन्हें ब्रिसबेन टेस्ट में ही मौका मिल गया। इससे उन्हें खुद को स्थापित करने का भी पर्याप्त समय रहेगा। ये गेंदबाज़ दिन में 20 से 25 ओवर करने की काबिलियत रखता है। उसके पास यॉर्करस्लोअरस्पीड सब कुछ है। अब टेस्ट में भी किसी गेंदबाज़ों को विविधता की ज़रूरत होती है। अगर कोई आउटस्विंग अच्छी कर सकता है तो उसमें इन स्विंग की भी काबिलियत होनी चाहिए।

शार्दुल ठाकुर के बारे में यही कहूंगा कि उन्हें अगर नियमित मौके मिलें तो वह टीम के काफी उपयोगी खिलाड़ी साबित हो सकते हैं। वह अपनी स्विंग गेंदबाज़ी के अलावा निचले क्रम में 30 से 40 रन बनाने की क्षमता रखते हैं। हमारे गेंदबाज़ों को किस लेंग्थ पर गेंद डालनी हैये सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है। नवदीप सैनी भी अच्छे प्रोस्पेक्ट हैं। उनकी मासपेशियों में खिंचाव आ गया है। वैसे तो फिटनेस टीम के हर खिलाड़ी के लिए ज़रूरी है लेकिन तेज़ गेंदबाज़ों के लिए इसका महत्व और भी ज़्यादा है। आज के गेंदबाज़ों को कपिलदेव से सीखना चाहिए। उनका फिटनेस लेवल काफी हाई था। वह जिम नहीं जाते थे। क्रिकेट से जुड़ी एक्सरसाइज़ किया करते थे। आज मैं देखता हूं कि कोच बच्चों को 40 गेंद से ज़्यादा गेंद न करने की सलाह देते हैं लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। मैं तो कहूंगा कि एक तेज़ गेंदबाज़ को कम से कम 80 से 100 गेंदें रोज़ डालनी चाहिए। इससे उनका स्टेमिना बढ़ेगा।

मोहम्मद सीराज में भी मुझे काफी क्षमताएं लगीं। इस लेवल पर वह लगातार अपनी गेंदबाज़ी को सुधार सकते हैं। हमारे चारों गेंदबाज़ों को ऑस्ट्रेलिया के तीनों फास्ट बॉलर से भी काफी कुछ सीखने को मिल सकता हैजिन्होंने पिछले तीन टेस्ट मैचों में 30 से 35 विकेट बिहाइंड द विकेट हासिल किए हैं। यानी आउटसाइड द ऑफ स्टम्प की लाइन नहीं छोड़ी है और स्लिपगली में कैच कराने के अलावा विकेट के पीछे भी कैच लपकवाए हैं। एक ही जगह पर लगातार गेंदबाज़ी करने के अच्छे परिणाम सामने आते हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे गेंदबाज़ दूसरे दिन इन सब बातों का ख्याल रखेंगे।

करसन घावरी

(लेखक भारतीय टीम के पूर्व बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ रह चुके हैं)

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